गुरुकुल दुवेत | Gurukul Duvet

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Gurukul Duvet by श्री रामकिशोर गुप्त -shree ramkishor gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उपोद्धात १९ उनके चेषठरों पर हवाई उडने का सी चित्र हभत ह । तोड़ मरोड़ उखाड़ पछाड़े चड़ वदे वहु अञमड साड 1 अज्छड शब्द से विशाल, सारी ओर सघन तीर्नों अथों का समावेश है । इसलिए वह प्षाडौ के विशेषण के लिए. लेखक को बहुत ही उपयुक्त मालूस पडा । ऊपर ससंठ घरने के सम्बन्ध से छिखा जा छुका है | एक दूसरी पंक्ते और सुनिएु-- “रपट पड़े की हर गन्गजा” से सिट सकता है क्‍या उपहास ९ “रपट पड़े की दरुणद्भा” एक कहावत है, जो इस भोर प्रसद्रानुसार कही जाती है। मालूस नहीं, और कही इसका प्रचार है या नहीं। किसी ढंग से अपनी कमजोरी छिपाने के सम्बन्ध से इसका प्रयोग ऐछोता है ) एक जन फिसल कर अचानक पानी में गिर पड़ा । दूसरे देखने वाले कही हँसी न करें, यह सोच कर 'हरगड्जा'--“हर हर शा कह कर वह रवान करने का अभिनय करने হ্যা । किन्तु छोग कब घृकने वाले थे ? कह उठे--भजी, यह तो रिपट पड़े की हरगड़ा है ! भाषा यथा হন আহত रखने की चेट्टा को गई ४:




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