मोमिन | Momin

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Momin  by धर्मपाल - Dharmpal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१८ मोमिन मौत के सदक़े कि वो बे-पर्दा ग्राए लाश पर जो न देखा था तमाशा उम्र भर, दिखला दिया उसके दिल में भ्रब खयाले-क़त्ल हरदम श्राए है मौत को किसने इलाही* ! मेरा घर दिखला दिया नाम उल्फ़त* का न लूंगा जब तलक है दम में दम तूने चाहत का मज़ा ऐ फ़ित्नागर” ! दिखला दिया सूरते - श्रणियार” को देखे है वह हैरत-ज़दा' मेरे रंगे - रुख* ने श्राईना* मगर दिखला दिया सख्त कम्बख्ती हुई यह भी नसीबो का लिखा गर को खत नामाबर* ने बे-खवर दिखला दिया देखेंगे 'मोमिन' यह हम इंमाने-वित्गब ° ग्रापका उस बुते-पर्दानशीं”* ने जलवा * गर दिखला दिया १. हत्या करने का विचार २. हे ईश्वर 1 ३. प्रेम ४. भगडा करने वाला ( प्रेमिका ) १४५. गैर की सुरत ६. चकित होकर ७. चेहरे का रंग ८. दर्पण ६. पत्रवाहक १०. वह ईमान जो ईदवरादि को प्रत्यक्ष देखे बिना लाया गया हो. ११. पदमे रहने वाली मूति ( पर्दानशीं प्रेमिका ) १२. भलक




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