श्रीपञ्चदेव - मन्दिर झुंझनू | Shripanchadev - Mandir Jhunjhanu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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3 ) १) मिन्दर बण्यो कमाल- देवता के चरणों में-- मुक्त विचार-- १२) बंदी की तान-- १२) ,१४) साञ्चो इन्षान- भुजणतौ रीकटर्था- (१५) लिछमी जी नें ओोठमों-- (१६) (१७) रामनाम-भङ्कार-- अपने अहं को- 1 न ---- (१) (२) (३) ` (४) (५) (६) (७) (८) (६) (१०) (११ (१२) (१३) (१४) थ मोको (३) (७) गोगाणा +~ अपनी मातुभाषा से ही चिपटा रहूँगा-- बावड़ी-- क्षणभंगुरता-- अनेका्थ- इ जुरा पथर न अवे- जीवन भर भगवान का स्मरण- धवला उठो कन्ध धर- समाज से अपील-- पाप से बचङ़र धम-सेवन करो- जलम लेय रजर्थान में-- जब कराम बहुत है- जेसा बीज वेते फल- यज्ञशिष्ट भोजन से पाप-नाश- संस्कार-- मुखपृष्ठ : बाबा गङ्धाराम-धाम (मुच्मुन्‌) की नयनाभिराम क्रॉँकी । गरहिणौ दिवस प्रारम पूजा-धाल_ लेकर मन्द्रि-तोरण पर पहुँची । गसीम श्रद्धा-विभोर तृप्त हो गया स्फटिक विनिभित विशाल मन्दिर रूपायित ही कर दिया है--जिसने इसे बनाया और जो यहाँ मक्ति-र अन्य चित्र : (१) बाबा गंगारामजी का विश्व-लौला-विद् कल्याणजी का मन्दिर (४) चिछा हज़रत तारकीनजी -ताकाव (८) बीड़ का तालाब (४) लाली तुलस्यान की वावड़ी (१२) को दरगाह (१४५) वदरूकी जोड़ी (१६ (१४) सनसादेवी का मन्दिर (२०) चौबु भाक्रण व बनने वरट १ राना सुखात; कन्न्ता 1 ----- हवन व चि्र-मुदरण ; भको पर्त, १ राजा सुरकास स्ट्रीट ; कछकत्ता-६ । सुविस्तृत इरीतिमा । है मन-प्राण । प्रगाढ भक्ति मापूरि विसाऊ-महरू (१ बड़ी मस्जिद (१३) नवाब भु ) सूय-मन्दिर (१७) नवग्रह-म जाँवकानूपीर (२१) भव्य श्री तारादत्तजी “निर्षिरोध' श्री चिवचोर श्री सत्पेनजी जोशी श्रीमतो यक्लोदादेवी श्रौ फमरमकुजी वर्मा श्री रामस्वरूपजौ परे श्री राघेरयामजी कौशल श्रौ प्रीतिपालजी श्री राधाश्रणजी मिश्र सुक्तियाँ गांधीजी मेडतनो बावड़ी री चिणाई एक पारिवारिक सम्वाद “सारङ्धः सबद रा ३१ अथं महन्त मोपनाथजी स्मरण-महिमा राजस्थानी-नीतिदृहय श्रौ दिनेकश्चजी मिश्च तीन तरह के पापों से बचाव श्रीरतननी साह आज के काम का महत्व शुभ कर्मों की प्रेरणा पाप-मुक्ति का एक सरल मागं संस्कारों की प्रधानता-चर्चा ५.६ ७ ६७ ७२ ७२/२३ ७२/९ ७२/११ ७२/२० ठ्य १ 9 १८ २१ २५ ३१ ५३ ७२/२ ७२/०८ ७२/१९ ७२/२४ ८ ९२ ९२ ९५ भ करने से पुवं विपुछू पुष्प-सम्भार । शतधा जलोच्छुछन ) त हो गई है रोम-रोम में अकण्ठ दवेत -सवन ने अपने गगनोन्नत शिखरवृन्द दारा निराकार ब्रह्म को ममतापुर्वक' भ करगे-दोनो ही भूरिश्चः धन्य ह | ह (र) वावाकेश्युगार की एकपरम रम्य ५१ जन-मन्दिर (६) नीतमल्नीका तालाब ०) विहारी जी का मन्दिर (११) गिरधारी वनखां का मक्रवरा (१४) नवावं भौकन खाँ न्दिर (१८) सत्यनारायण भगवान्‌ का मन्द्र भुञ्गृन्‌ (२२) मोहन-वाग 1 रूप-सज्जा : अनिल मोदी




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