धरती अब भी घूम रही है | Dharati Ab Bhi Ghum Rahi Hai
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
185
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ धरती श्रब भी घूम रही है
मुभे पूरा विश्वास था दार्मा मेरी बात नहीं टाल सकता । श्रौर मेरी बात भी
कया । श्रसल मे वह तुम्हारा मुरीद है । कहता था श्रौरत' ' ''
बात काटकर सचिव साहब बोले, 'जी नहीं, यह न श्राप है म्रौर न श्रीमती
निमंल । यह तो श्रापकी कौटुम्बिक प्रतिभादै।'
इसपर सबने स्वीकृतिसूचक ह्ष-ध्वनि कौ । छोटे न्यायमूर्ति इसका
प्रतिवाद कर पाते कि बैरेने श्राकर फिर सलाम किया । विस्मित-से डायरेक्टर
बोले, “इस बार किसकी नियुक्ति होने वाली है?
बेरे ने कहा, 'दो बच्चे हजर से मिलने श्राए हैं ।'
'हमसे ?'--छोटे न्यायमूर्ति श्रचकचाकर बोले ।
'जी।
किसके बच्चे?
'जी मालूम नहीं । भाई-बहन हैं । गरीब जान पड़ते हैं ।'
'ग्ररे तो ब्रेवकूफ ! कुछ दे-दिवाकर लौटा दिया होता ।'
'बहुत कोशिश की पर वे कुछ मांगते ही नहीं । बस श्रापसे मिलना
मांगते हैं ।'
छोटे न्यायमूति तेजी से उठे । मुख उनका विकृत हो शभ्राया, पर न जाने
क्या सोचकर वे फिर बेठ गए । कहा, 'ग्राज खुशी का दिन है । यहीं ले रा ।'
दो क्षण बाद, वुरी तरह सहमे-सकपकाए, जिन दो बच्चों ने वहां प्रवेश
किया वे नीना श्रौर कमल थे । श्रांसुप्नों के दाग श्रभी गालों पर देष थे । दृष्टि
से भय भरा पड़ता था । एक साथ सबने उनको देखा जसे मदिरा के प्याले में
मक्खी पड गई हो । छोटे न्यायमूर्ति ने पूछा, 'कहां से श्राए हो ?'
'जी'''जी'”' ' नीना ने कहना चाहा पर मुंह से शब्द नहीं निकले श्रौर
बावजूद सबके श्राइवासन के वे कई क्षण हतप्रभ, विमूढ़, श्रपलक देखते ही रहे,
बस देखते ही रहे । झाखिर मनमोहिनी उठी । पास प्राकर बोली, कितने प्यारे,
कितने सुन्दर बच्चे हैः ।'
इन शब्दों में न जाने क्या था । नीना को जैसे करण्ट छू गई । एक बारगी
हढ़ कण्ठ से बोल उठी, “श्रापने हमारे पिताजी को जेल भेजा है। श्राप उन्हें
छोड़ दे** ।'
कमल ने उसी हृढ़ता से कहा, हमारे पास पचास रुपए हँ । भ्रापने तीन
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