राजस्थानी - गद्य - साहित्य उदभव और विकास | Rajasthani - Gadhya - Sahitya Udbhava Aur Vikas

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Rajasthani - Gadhya - Sahitya Udbhava Aur Vikas by डॉ॰ शिवस्वरूप शर्मा - Dr. Shivswaroop Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ई ) काल की प्रमुख रचनाये १-छाराघना र० सं० १३३० लेखक छाज्ञात २-वालशिक्ञा २० सं° १३३६ लेखक सम्रामसिह ३-अतिचार र० स० १३४० ए-अतिचार २० स० १३६६ ४-नवकार व्याख्यान र० स० १३५८ ६-सबं तीथं नमस्कार स्तवन र० स० १३५६ ७-तर - विचार - प्रकरण रचनाकाल निश्चित पर अलुमानत चोदह्वीं शताब्दी ८-धनपाल कथा रचनाकाल श्रनुमानतः चौदहवी शना्दी शय का उदाहरण उपसहार . गय प्रवृत्ति एव भाषा स्वरूप की दृष्टि से चौदवी शतादरी का मदद गद्य ओर पद्य की भाषार््ो मश्तर पर्य की भाणः {यक प्रौीढ़ एव परिमाजित गद्य का विकासोन्युख होना लेखकों के सस्मुख कोई सिश्चित आधार न होने के कारण उनको स्वयं साग बनाना पड़ा , ४ २-४० २-विक्ास काल , , ,स० १४०० से सं० १ ६०० तक पू्व -पीठिका . गद्य सें मैढ़ता आई . शैली बदली बिपयों के क्षेत्र सी विस्त हुए जनों के धार्मिक गद्य की. प्रचुरता... बालावबीध रैली का प्रारम्भ चारणी गद्य से वचनिका ..शैली में प्रोढ़ता कलात्मक गय के भी अच्छे उदाहरण सिले, ..पथवीचन्द्र चरित्र एक बहुत मददत्वपूर्ण रचना १-घार्मिक गद्य, ..ए० ४०-४० १-श्री तरुण प्रथ सूरि ( स० १३६८... ) और उनकी रचनाये-- र२-श्री सोस सुन्दर सूरि (स० १४३० से स० १४६४) श्मौर उनकी रचनाये- ३-श्री मेससुन्दर ओर उनकी रचनाये- ४-पाश्व चन्द्र सूरि चौर उनकी रचनाये-- स्फुट गच लेखक ८ १-जय शेखर सूरि “रां चलगच्छं सं १४०० से १४६२ श्री महेन्द्र प्रभ सूरि के शिष्य . गय पद्य के क्त मिलाकर श्टप्रथो के रचयिता ..




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