सप्त सरिता | Sapt Sarita

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Sapt Sarita by उदयशंकर भट्ट - Udayshankar Bhatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समुद्रयु्त पराक्रमांक [भाडागार का बाहरी कक्ष ! दीवालों पर श्रनेक चत्य-सुद्राओं में न्ते- कियों के चित्र हैं | स्फटिक पत्थरों के 'स्तंभों पर दीपों का आलोक दो रहा है । पीछे लोद-दंडों से बना हुश्रा परिवेषणा है । „ . मंच के वीच में समुद्रगुप्त खड़े हुए हैं । शरीर पर श्वेत श्र पीत परि- धान 1 रल्नजटित शिरोभूषण, केश उन्मुक्त । पुष्ट वचस्थल जिस पर र्नो के दार १ कटिवन्ध मेँ खडग | उनकी सुदा गभीर दैः । उनके दादिनी श्नोर संदल ॐ राजदूत धवलकौति शरोर राज्य के मदान- लाघ्यच कोदण्ड हैं रर वाह ओर भाडागार के श्रधिकरण मणिभद्र हैं । धवलकीतिं का पीत, मणिभद्र का श्वेत श्नौर कोदरड का नील परिधान है । कोदराड सैनिक-वेश में है । द्वार पर शस्त्र लिये हुए प्रदरी 1 समुद्रयुप्त धवलकीतिं को संबोघन करते हुए कहते हैं । ) समुद्रयुत्-तो अब यद्द निश्चय है कि भांडागार में वे रहे नहीं हैं ` धवलकीतिं--यदह तो श्रापने स्वयं देखा, सम्राट्‌ ! किन्तु भांडा- गार से इस तरद्‌ चोरी दो जाना आ्यैजनक ; है 1 भांडागार




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