आधुनिक भारत के निर्माता महादेव गोविन्द रानडे | Aadhunik Bharat Ke Nirmata Mahadev Govind Ranade
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
294
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पी॰ जे॰ जागीरदार - P. J. Jagiradar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पृष्ठभूमि और बात्यावस्या 15
सा वन गया था कि जब दस वजे सुवहू वह स्कूल से घर वापस आते
थे तो उनकी माता एक वतन में से गरम-गरम घी उनकी रोटियों पर
चुपड़ कर उन्हें खाने को दिया करती थी । एक वार ऐसा हुआ
कि घर में घी खत्म हो गया । उनकी माता ने दूसरे वर्तन में से
मवखन निकाल कर उनकी रोटियों पर चुपड़ दिया । लेकिन महादेव
किसी भी तरह रोटियां खाने के लिए राजी नहीं हुए । अन्त में घी के
वतन में ही थोड़ा-सा पनी डाल कर उसे गर्म करके रोटियों पर
डाल कर उन्हें दिया गया । पानी से चड़ रोटियां उन्होने खुशी से
खा ली | इस प्रकार नियम-पालन की उन्हें घुन-सी थी ।
लड़कपन में उन्हें कुछ भी कहने या याद दिलाने की जरूरत
नहीं थी । मपने कर्तव्यां का उन्हें खूब ज्ञान था । उनकी दिनचर्या के
विपय में उनकी चाची ने उदाहरण के तौर पर एक छोटी-सी वात
वतलाई थी । उसका वर्णन उनकी पत्नी ने अपने संस्मरणों में इस
प्रकार किया है: “सुवह् वह स्कूल जाते थे । वहां से वापस आकर
नाश्ता करते और फिर अपनी वहन दुर्गा के साथ सागरगोटी
(लड़कियों का एक खेल) खेलते थे और फिर नहाने जाते ये । नहाते
समय पहला लोटा सिर पर डालते ही “पुरुष सूक्त' का पाठ करना
शुरू कर देते । नहाने के वाद अपनी विस्तृत संध्या-पूजा करते । अपने
कार्येक्रम में उन्हें कोई भी विघ्न सहन नहीं होता था । एक वार जब
बह संध्या कर रहे थे तो किसी वृद्ध रिश्तेदार ने पूछ लिया कि “तुम
यह् किस चीज का पाठ करते हो ?” रानडे ने उत्तरतो दे दिया ।
लेकिन उनकी पाठ की कड़ी टूट गई और वह भूल गए कि आगे उन्हें
बया बोलना है । वहुत याद करने पर भी याद नहीं आया । संध्या
छोड़ते भी न वनती थी और वह स्वयं फिर से शुरू से करना भी न
चाहते थे | फिर जिस वृद्ध ने बीच में उन्हें टोका था उन्ही से उन्होंने
वहां से वह पूरी संध्या कहलवाई जहां वह रुक गए थे । संध्या तो पुरी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...