हिंदी के उपन्यासकार | Hindi Ke Upnyaskaar

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Book Image : हिंदी के उपन्यासकार  - Hindi Ke Upnyaskaar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गोपालराम जी गहमरी 3] [< घटना प्रधानता को लिये हुए । चरित्र-चिन्रण की और इस उप- न्यासों में भी ध्यान नहीं दिया गया । इस पत्र से उपन्यास पठन- पाठन को घरोत्साइन अवश्य सिला दे और यही एक बहुत सहदत्व- पूर्ण वात है क्योंकि उपन्यासों की मांग ने ही पाठकों में उच्चकोटि के उपन्यास पढ़ने की जिज्ञासा उत्पन्न की और लेखकों सें चिश्व- साहित्य पर दृष्टि डालने की उमंग पैदा हुई। लेखकों ने उपन्यास के व्यापक च्ेत्र का विश्लेपण प्रारम्भ किया और नवीनतम च््रि कोण को प्रकट करने के योग्य अपनी भाषा और अपने घिचार्से को वनाया । जिस घटना-प्रधान उपन्यास-क्षेत्र का निमाण हिंदी जगत में _ देवकीनन्दन जी खत्री ने किया था उसमें सुन्दर जासूसी उपन्यास की रचना करके गोपालराम जी गहसरी ने तिलस्मी, ऐयारी उपन्यास साहित्य को एक विशेष आकपेक और तीर, क्रांतिकारी चिचार धारा तथा साहित्य की देन जासूसी उपन्यास प्रदान की । ऐयारी-उपन्यासों के अंतर्गत घटनाओं के जमघट में मागे-प्रदर्शन-कायें नायक को करसा होता था । कोई क्रम वद्धता उन घटनाओं में स्वतन्त्र रूप से नहीं मिलती । घटनायें स्वतन्त्र रुप से विखरी हुई रहती हैं. और उनका पारस्परिक सम्बन्ध स्थापित करने का कोई स्वतन्त्र माध्यम नहीं होता । केबल नायक के ही सम्पक में आकर उन घटनाओं की कुछ ढांचा तथय्यार होती दे ओर यदि वह नायक एक क्षण के लिये भी पाठक की रष्टि से आमल हो जाये तो कथा एक भान- मती का पिंटारा वलकर पाठक को वोसिल सी प्रतीत होने लगती है। इस प्रकार के उपन्यासों में नायक का पल्ला पकड़ कर ही पाठक एक गहन चन की यात्रा करता है परन्तु जासूसी उपन्यासों में परिस्थिति इसके विलकुल ही विपरीत दे । जासूसी उपन्यासों की घंटनायें क्रम वृद्ध होती हैं । इनकी घटनाओं का पूदापर सम्वचन्ध




User Reviews

  • Vishal

    at 2018-12-29 03:16:19
    Rated : 10 out of 10 stars.
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