शाहमाना | Shahamana
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
45 MB
कुल पष्ठ :
306
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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राहनामा-- प्रथम भाग
ध)
सेना के हतोत्साह होने के कारण पराजित हो भाग निकला. | उसके
पलायन करते ही ज्ञोहाक ने ईरान के सिहासन पर - अपना अधिकार
जमाया । सिंहासनारूढ़ होते ही उसने घोषणा की कि जो व्यक्ति जसशैद्
को बन्दी बनाकर लाएगा अथवा उसका चिह्न बताकर उसे बन्दी कर.
वाएगा उसे राज्य-कोष से झ्रतुल घन दिया. जाएगा, और यहीं तक नहीं,
उसे राज्य मैं पदाधिकारी भी नियुक्त क्रिया जाएगा | ज़ोहाक की इस
घोषणा की चरचा भू-मण्डल के कोने-कोने में होने लगी गौर सभी लोग
जमशेद् की खोज सें रहने लगे ।
इ्पर जमशेद रण-भरूमि से भागकर पत्तों में जा छिपा । जब उसे
इस घाष्णा की सूचना सिली तो वह प्राणमय से लोगो की दृष्टि बचाता
मरूस्थलों एवं पवतों को लॉघचता अनेकानेक विपत्तियों से साम्सुख्य करता
जाबुलिस्तान जा पहुँचा । नगर में प्रवेश करने से पूर्व उसने छुम-वेश
धारण कर लिया |
इस नगर के शासक के एक पुत्री थी जो रूप-लावण्य में परियों के
सदश थी । उसके स्रंग-प्रव्यंग की रचना जै्े कि स्वयं विधता ने ही की
हो । उसके नयन-वाणों द्वारा वेधित पुरुष की संख्या अगणित थी |
इसके अतिरिक्त उसमें एक और भी गुण था, वह सोदयं की प्रतिमा होने
के साथ ही चरि्डिका का साक्षात अवतार थी । उसके पिता ने उसे समस्त
रण-कौशल की शिक्षा दिलवाई थी | फलतः जब बह संग्राम-भूमि
में प्रवेश करती तो जिधघर घूम जाती, उधर शव ही शव सू-लुंडित
होते मिलते । यह उसी की बुद्धिमत्ता एवं रण-कौशल का परिणाम था
कि उसके पिता ने सनोछर जैसे प्रबल आक्रमणकारी को पराजित कर
दिया था । इसी कारण तो जाबुल नस्श उसका पाणि.गरहण किसी के
साथ न करता था । वैसे उसे सभी प्रकार की स्वच्छन्दता प्रदान कर दी
गई थी |
इस राजऊुसारी के साथ
उयोतिविद्या मे दत्त थी। एक
धाय थी, जो बड़ी बुद्धिमती तथा
दिन उसने राज्ुसारी से कहा कि
{449 ध 6. {2 94.
3 किट | ~ ८. अतसाइलीधियकि लि किनिदिसविरि साला
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