सीताराम चौपाई | Seetaram Chaupai
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
526
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
अगरचन्द्र नाहटा - Agarchandra Nahta
No Information available about अगरचन्द्र नाहटा - Agarchandra Nahta
भंवरलाल नाहटा - Bhanwar Lal Nahta
No Information available about भंवरलाल नाहटा - Bhanwar Lal Nahta
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)व है 3
वहत दै सम्पूणं सचना नो खण्डों मे विभक्त है। जिनका नामकरण
कृवि ने प्रत्येक खण्ड के अन्त में किया है ।
महाकाव्य सर्म वद्ध किया जाता है। यह र्वना अनेक खंडों मे
लिखी गई दै और वहत बडी दै! जीवन का सर्वांगीण चित्रण हमें
इससे मिलता है। नायक स्वयं राम दे जिनके वीरत्वमें धीरत्वमें
सन्देह का कोई स्थान नहीं । घृत एेतिद्यसिक है दी जिससें पीछे कवि
क्ता महदुदेश्य राम गुणगान स्पष्ट दै। छन्द की विविधता; रसों का
पूर्ण परिपाक; यह सब इस रचना को प्रबन्ध काव्य की कोटी में छा
खड़ा करते दे । कवि ने स्वय इस ओर सर्गान्त मे संकेत कर दिया
है--इतति श्री सीता राम प्रब्थे ।” इस प्रकार प्रस्तुत अन्थ एक चरि-
तात्मक भ्रवन्ध काञ्य सिद्ध होता है जिसमे अनेक का सम्बन्ध सूत्र
नायक ( राम ) की कथा से जोड दिया गया है । चौपा छन्द की
अधिकता के साथ-साथ अन्य छन्द भी प्रयुक्त किये गये हैं अत-
चौपाई की शप्रधानता होने पर भी एवं 'प्रबन्घ' के पर्याय के रूप में भी
(उपः नाम रखा गया है ।
न्थ का प्रारम्भ ग्रन्थ का प्रारम्भ कवि ने परम्परानुसार
मगङाचरण से किया है ।
स्वस्तिधी सुख सम्पदा, दायक अरिहत देव
८ तर तर
निज गुख्चरण कमल नमु, चरिण्ड तत्व दातार
रद जद ८
समरू सरसति सामनी, एक करू अरदास 1
User Reviews
No Reviews | Add Yours...