शान्ति के अग्रदूत श्री वर्द्धमान महावीर भाग - 3 | Shanti Ke Agradoot Shri Vardhaman Mahavir Bhag - 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
560
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मनुष्य जीवन से अपने पुरुपाथ द्वारा परमात्मपद प्राप्त करने वाले
सत्य ओर अहिसा के अवतार :: विश्व-शान्ति के अग्रदूत
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सारा ससार इस समय इख अनुभव कर रहा है
गरीब को पेसा न हाने का एक दुख हैं तो झमीर को
सम्पत्ति की तृष्णा, कारोवार को वदने की लालसा ओौर
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इपादि के चिन्तायुक्त अनेक क्छ । बड़े से बड़े प्रेजीडेर्ट
प्रधान मन्त्री श्र राज्य तक देश-रक्षा के भय तथा शत्रओं की
चिन्ता से पीड़ित हैं और अनेक उपाय करने पर भी उन्हे सुख
शान्ति भ्राप् नदीं होती ! आखिर इस स कारण स्या ?
तो सब को स्वीकार करना ही पड़ता है कि रागद्रष, `
क्रोध, ल्लोम आदि हिंसामयी थावों के कारण ही संसार दुखी
वसा हुआ है, परन्तु इन दुभावों को मिटाने के उपायों मे
मतसेद है । कुछ लोगों का विचार ई कि युद्ध लने से अशान्ति
नष्ट हो जाती है; परन्ठु डा० ७ 5ऽ8८७5व०० के शब्दों सें
लड़ाईयों से देश की सम्पत्ति, देश के वीर, देश का व्यापार तथा
देश की उन्नति नष्ट हो जाती है और आने वाली सन्तति तक को
थी युद्धों के चुरे अभाव का फल भोगना पड़ता है। एक युद्ध के
वाद दूसरा श्औौर उसके बाद तीसरो युद्ध लड़ना पडता है श्यौर इस
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