नागरिक शास्त्र के सिद्धन्त और भारतीय संविधान | Naagrik Shastra Ke Sidhant Aur Bhartiya Savidhan

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Book Image : नागरिक शास्त्र के सिद्धन्त और भारतीय संविधान  - Naagrik Shastra Ke Sidhant Aur Bhartiya Savidhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ग्रध्याय 9 नागरिक शास्त्र का परिचय यतेमहि स्वराज्ये । हम स्वराज्य के लिए स्वंदा प्रयत्नशील बने रहें ऋषगवेद ५।६६।६ वयं राष्ट्र जायूयाम । हम श्रपने राष्ट्र में सदा जाप्रत रहें । शुक्ल यजुर्वेद &। २३ मनुष्य एक समाजिक प्राणी है वह जन्म से मृत्यु तक समाज में रहता है । समाज में रहने पर उसके मन में स्वाभाविक रूप से कुछ प्रदन पंदा होते हैं जेसे--जिस समाज में वह रहा है उसके साथ उसका क्या सम्बन्ध है ? समाज में उसका क्या स्थान है? मनुष्य श्रौर समाज की परिभाषा किस प्रकार की /जाये ? समाज के भीतर विविध समुदायों के साथ मनुष्य का कया सम्बन्ध स्थिर किया जाए ? मनुष्य के सुख में समाज क्या सहयोग दे सकता है तथा किस प्रकार ? समाज-हित के लिए मनुष्य को क्या करना चाहिये ? सुखी श्रौर समृद्ध समाज कंसे बने ? इस प्रकार के प्रदनों के समाधान के लिए समाजशास्त्रियों ने एक नये शास्त्र की रचना की जिसे नागरिक-शास्त्र के नाम से पुकारा जाता है । अंग्रेजी में इपे सिविक्स ंपां०४ कहते है । सिविक्स दाब्द लेटिन भाषा के सिविस श्ौर सिविटास दाब्दों से बना है । इन दोनों दाब्दों के भ्रथें क्रमश नागरिक श्रौर नगर हैं । भ्राधघुनिक काल में इस शास्त्र का प्रादुर्भाव सर्वे प्रथम ग्रीस में हुम्रा था । प्राचीन ग्रीस में छोटे-छोटे स्वतन्त्र नगर राज्य 1४ 38165 होते थे । इनके भीतर सभ्यता का गहरा विकास हुम्रा था । इन नगर राज्यों के उन निवासियों को जो राज प्रबन्ध में भाग लेते थे नागरिक कहा गया तथा नागरिक-जीवन को सुव्यवस्थित व सुखी बनाने के ्रभिप्राय से नागरिक शास्त्र के सिंद्धा्तों की रचना की गई । उस काल में यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिकों प्लेटो वं प्ररस्तु की रचनाग्रों से इसको बहुत बल मिला | सामान्य झर्थ में नागरिक से हमारा तात्पयं नगर में रहने वाले व्यक्ति से है किन्तु इसका श्रथें यह नहीं कि वह व्यक्ति जो नगर में रहे वही नागरिक कहा जाता है। नागरिक शब्द का व्यापक है उसके भ्रन्तर्गत देश के भिन्न-भिन्न स्थानों में रहने वाले वे सभी व्यक्ति श्रा जाते है जिन्हें राज्य की श्रोर से सामाजिक व राजनी- तिक अधिकार प्राप्त हों चाहे वे नगरों में रहे भ्रथवा प्रामों में नागरिक छास्त्र उन सबकी सामाजिक प्रवृत्तियों का श्रध्ययन करता है ।




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