अचल मेरा कोई (सामाजिक उपन्यास) | Achal Mera Koi (Samajik Upanyas)
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
272
श्रेणी :
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No Information available about सत्यदेव वर्मा बी.ए. - Satyadev Verma B.A.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ चल मेरा क्रोई
परन्तु दूकानदारीं श्र दूकानों पर जमी हुई या चंचल भीड़ का श्यान
उस पर से रिंपट रिपट कर सुघधाकर पर श्रधिक ठहर रद था । वह
लखपती घराने का है । लखपती का लड़का जेल गया ! इससे त्रढ़कर
स्याग और क्या दो सकता है !
अचल की समभ में बात श्रागई--श्ौर समाज में धनियों की इस
प्रतिष्ठा से उसका जी कुद गया । श्रादर सम्मान, विराम विश्राम के लिए
धन ज़रूरी है | पर बड़ा कौन है ? सरस्वती और लक्ष्मी की बडी पुरानी
लडाई ] किन्तु उल्लू. पर लक्ष्मी की सवारी की कल्पना करते दी उसको
सान्त्वना मिल गई--शर किर वह ऐसा दरिंद्र भी न था । उसके घर में
भी पैसा था और वह् लेन-देन या किसी ऐसे उपायों से नहीं आया था |
स्वास्थ्य उसका अच्छा था । वह सीधा चल रहा था । मार्ग पर
उसके पैर फूल की तरह पढ़ रहे थे । सुधाकर की आकृति कुछ अधिक
सुन्दर होने पर भी देह उतनी स्वस्थ न थी । यह श्रन्तर तुरन्त उसको
एक ऊँचे स्तर पर ले गया, परन्तु उसी चण उसके जी में शनुकस्पा
का प्रवाह श्राया ] तुलना ने ग्लानि उत्पन्न की श्रौर उसने भीतर ही मीतर
मनाया, सुधाकर का स्वास्थ्य अच्छा हो जाय, उससे इस विधय पर कमी
चर्चा करूँगा |?
चल ने निश्चय किया, घन को बढ़ाऊँगा । देश के कामों पर
खचचे करूँगा, क्यों कि किसी कवि ने ठीक कहा है, “भूखे भगत न देय
भुश्रालू ।?
जलूस ने समय श्राने पर श्रपनी शक्ति खच करदी श्र सब्र
लोग अपनी अपनी घुन में लग गए |
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