सामूहिक पदयात्रा क्यों और कैसे | Samuhik Padyatra Kyon Aur Kese
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
769 KB
कुल पष्ठ :
43
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६५
कितने लोगो से मिले, किसने वया जवाब दिया, किसने ज्यादा कितावे खरीदी
यह सब हम नोट में लिखे । इससे आगे के काम की योजना बनाने मे सुविधा होगी
और दुबारा भुस गाव में काम करने के पहले पुराने अनुभवों का लाभ मिलेगा।
घर-घर जाते वक्त साहित्य खूब वेचे, भूदान पत्र के ग्राहक बनाये !
(५) भूदान-पत्र और साहित्य प्रचार
भूदान भादोलन की सारी दारोमदार विचार परिवत्तन पर है। भूदान-
पत्र हमारा सर्वोत्तम साहित्य हैं। भुसका सर्वप्रथम प्रचार होनां चाहिये।
कितावे तो पुरानी हौ जाती है। भक वार खरीदने कै बाद वद करके भी रख
देने का डर रहता है। लेकिन भूदान-पम तो हर हफ्ते जाता है, खटखटाता
है। भसमं नित्य नये विचार अति रहते है। भर विविधं लेखको द्वारा
भिन्न-भिन्न दृष्टि सि सब पहलुओं पर प्रकाश डाला जाता है। कार्यकर्ता
बार-बार तो नहीं जा सकता। उसकी शक्ति भी सीमित होती है। लेकिन
भूदान-पन के द्वारा हर हफ्ता पू विनोबाजी, जयप्रकाशजी आदि बडे मेता ही
मानों ग्राहक से मिलने जाते हं । देशभर की महत्वपूर्णं घटनाये उसमे होती है
जिससे जनता और कायेकर्ताओ को प्रेरणा मिलती है। पत्र द्वारा कार्यकर्ता को
शिक्षा मिछती है। जनता को कार्यक्रम दिया जाता हैं। आदोलन को ठीक
दिशा में मोडने में और आदोलन का सचालन करने मे पत्र का बडा भारी
उपयोग है।
भूदान पत्र का यह सामध्यं हम ख्याल मे रखकर हरएक देहात में कम-से-
कम एक ग्राहव आवइय बनायें ।. स्कूल, ग्रामपचायत, कार्यकर्ता, श्रीमान या
गरीबो से चदा इकट्ठा करके भी भूदान-पन को गाव-गाव में शुरू करना आसान
है। वर्धा तहसील में ३०० देहात हं! वहा भूदान-पत्रू के ५२७ ग्राहिंक थने 1
यह सब जगह हो सकता है। जिस गाव में भूदान-पत्र नही गया उस गाव में
हमारा काम हो नहीं हुआ ऐसा मानना चाहिंप्रे। भूदान-पत्र को शिक्षक या
कार्यकर्ता द्वारा सामूहिक रूप से गाव में पढने था भी हम इतजाम करे। इसके
साथ साहित्य भी खूब विकना चाहिये ।
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