प्राकृत साहित्य का इतिहास | Prakrit Sahity Ka Itihas

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Prakrit Sahity Ka Itihas  by जगदीशचंद्र जैन - Jagdeeshchandra Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची पहला अध्याय भाषाओं का बर्गकिरण ३-३र भारतीय भायभापायें %-१० , मध्ययुरगान भारतीय श्रायंभाषाथे * , प्राकृत और सस्कृत ५ प्राकृत और अपगेश ८ प्राकृत भाषार्ये १०-१२ माकृत श्चौर महाराष्ट १२ प्राकृत भापाओ कं प्रकार १४-३२ पालि ओर श्रशोक कौ धमलिपिया १८ , भारतेतर आकृत १५ श्रधमागधी १६ शतैरमेनी २० महाराष्ट्री २४ ब. ८. पशाच २७ , मागधी २९ ; दूसरा अध्याय जैन आगम-साहित्य ( ईसवी सन के पूर भ्वी शताब्दी से ईसवी सन्‌ की भ्वी शवष्दी तक्‌ ) ३३-१६२ जैन श्रागम ३३ तीन वाचनाय ३९ यम की भाषा २९ प्मागमो ऋ महत्त्व ४१ , आगमों का काल ४ द्रादशांग छ४-१०४ श्रायारग ५५ ' सूयगडग ५१ ' ठाणाग ५६ ` मम्वायाग ६१ , वियाहपण्णत्ति ६५ । नायाधम्मकदा्यो ७५ । उवासगदमाश्रो ८५ , व्मन्तगडदसाओं ८८ अरणुलरोवचाडयद्माश्रो ९० ' पण्टवागरणाषं ९२ , विदागमुय ९८ ' दिटठिवाय ९८ । द्वादश्च उपग १८४२२ उचवाइय १०४ ! रायपसेणइय १०७ । जौवाजीवाभिगम १११ | प्तवणा ११२ । सूस्यिपन्नत्ति ११४ जम्बुद्दीवपन्नत्ति ११५ । चन्दपञ्चत्ति ११७ | निरयावलिया अथवा कप्पिया ११८ कप्पवडसिया १२१ पुश्फिया १२१ पुष्फचूला १२९ वण्डिदसा १२२




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