हिन्दुस्तान की पुरानी सभ्यता | Hindustan Ki Purani Sabhyata
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
663
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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जैन राजा ख॑रवेल का हाथीगुस्फा लेख है । पदिली ई० सदी के
भाद श्रध, क्षत्रप इत्यादि नरेशों के, चाथी सदी के बाद गुप्त महा-
राजाधिराजो के, झौर उसके बाद १२वीं खदी तक देश के प्रायः
सब ही राजवंशं के शिलालेख, ताश्नप् इत्यादि बहुतायत से
मिलते है । बङ्गाल पशियाटिक खु सायदी. रायल एशियाटिक सुखा-
यटी झ्रौर उसकी बम्बई शाखा, पवं बिहार श्र उड़ीसा रिसर्च
खु लायरी की,पन्निकाश्रो मे, कापस इन्सक्रि पशनम् इन्डिकेरम्, इन्डियन
पन्टिकवेरी भौर एपित्रं फिय इन्डिका में ऐसे हज़ारों लेख बीसों
विद्वानो ने सम्पावन करके श्रपनी टीकाश्रो कफे साथ छपाये ह ।
दकिलन के लेख जो संख्याम श्रौर भीज्यादादहैश्रौर जा १७ चीं
सदी तक पहुंचते हैं पपिग्राफ़िया कर्नाटिका, साउथ इन्डियन
इन्सक्रिपशन्स श्रीर मद्रास पिपर फिस्ट्स रिपोर्ट में भी प्रकाशित
हये है ! इन लेखो से सैका राजाश्रौ श्रीर महाराजाधिराजौ की
तिथि श्र करनी मालूम पड़ती है, राजशासन का चित्र खिच
जाता है श्रौर कमी २ समाज, झाधिक स्थिति और साहित्य की
बातों का भी पता लगता है ।
यद्दी प्रयोजन सिक्कों श्रौर मुरो से भी सिद्ध होता है |जो ३०
सन् के प्रारंभ के लगभग से पञ्चाव, सिंध,
सिक भर मुहर... मालवा इत्यादि प्रदेशों में मिलते हैं। कमी
कभी तो यह सिक्के धार्मिक और सामाजिक
समस्या ओ को मानो चमत्कार से हल कर देते हैं ।
सामाजिक श्रीर घार्मिक इतिहास के लिये पुरानी मूर्तियों श्रौर
भवनों के ध्वंसाचशेष भी बहुत उपयोगी हैं ।
भवन भर पत्तिं तक्षशिला, सारनाथ, पाटलिपुत्र श्चादि को
खोद् कर ज मकान, धरतन, भूतिं वगैरद
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