लड़खड़ाती दुनिया | Ladakhadati Duniya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : लड़खड़ाती दुनिया - Ladakhadati Duniya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जवाहरलाल नेहरू - Jawaharlal Neharu

Add Infomation AboutJawaharlal Neharu

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
2 रहे है कि साम्राज्यवादी देहा धीरे-धीरे करके फासिक्म की ओर बढते जा रहे है, गो कभी-कभी वे अपने यहाँ प्रजातन्त्र की बाते कर लिया करते हं 1 वेतो यह्‌ करेगे ही क्योकि साम्राज्यवाद ही उनकी नीव और पाश्व॑भूमि हं इस कारण आखिरकार वे फासिज्म को रोकं नहीं सकते । हाँ, वे उस पार्दव॑भूमि को ही छोड दे तो बात दूसरी है । प्रतिक्रियावादी शक्तियों का आज एक प्रकार का सगठन हो रहा है । हम उसका मुकाबला कंसे करे ? प्रतिक्राति के विरुद्ध प्रगति की शक्तियाँ जुटाकर । और अगर उन्हीं लोगो की, जो कि प्रगतिशील शक्तियों के प्रतिनिधि है, बिखरने की और छोटी-छोटी बातों पर बहुत ज्यादा ^ वहस करके बडे प्रष्नो को खतरे मे डालने की आदत हो जाये तो वे फासिस्ट ओर साम्राज्यवादी जातकं को रोकनेमे कमी सफल नही हो सकेगे । किसी भी वक्त यहे आपके सोचने-विचारने की बत होगी कि हमे सगटित रहना ह । लेकिन हमारे सामने जो तरह-तरह की कठि- नाइयाँ भा गयी ह, उनके कारण तो यह बहुत ही ज़रूरी बात हो गयी है । अब तों एक सयुक्‍त मोर्चा ही--और राष्ट्रीय सयुक्त मोर्चा नही बल्कि विद्वव्यापी सयुक्त मोर्चा ही--हमारे मकसद को पुरा कर सकता हं ! भौर जिन सकटो मे से हम निकल चुके हे, आज हमें सबसे अधिक आशा दिलाने्राले लक्षण वे ही हे जो ससार भर की प्रगति और शान्ति की शक्तियों के सगठन की ओर इशारा करते ह । आपको याद होगा कि चीन के अन्दरूनी सघर्ष ने ही' उस राष्ट्र को कमजोर बना दिया था, लेकिन पिछले साल जब जापान का हमला हुआ तो हमने देखा कि जो छोग आपस मे बुरी तरह लड़ रहे थे और एक दूसरे को मिटा रहे थे, जिन्होंने एक-दूसरे के ख़िलाफ़ बहुत ज्यादा कटता पैदा कर छी थी, वे ही इतने महान हो गये कि उन्होंने सकट




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now