कश्मीरी और हिंदी सूफी काव्य का तुलनात्मक adhyayan | 908 Kasmiri Or Hindi Sufi Kavy Ka Tulnatmak Adhyyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
524
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)झालोच्यकाल की राजनीतिक परिस्थिति ३
® ^< ५ ४
मुगलो का समय सन् १५०८६ ईस्वी से लेकर सन् १७५२ ईस्वी तक । |
श्र मशानो का समय--सन् १७५२ ईस्वी से लेकर सन् १८१६ ईस्वी तक ।
सिक्लो का स॒मय^-सन् १८१६ ईस्वी से लेकर सन् १८४६ ईस्वी तक
डोगरो का समय (महाराजा प्रताप सिंह कौ मृत्यु तक }--सन् १८४६ ईस्वी
से लेकर सन् १६२५ ईस्वी तक 1
शाहमीर के वंश ने ही नही श्रपितु चको ने भी सुल्तान की पदनी ग्रहण
की । उन्होने बाह, पादशाह् तथा सुल्तान-ए-भ्राजम जसी भरस्य उपाधिया
मी धारण की, इसी वश के दूसरे प्रसिद्ध सुल्तान शहाब-उद्-दीन (सन् १३४५४
ईस्वी-सन् ७३ ईस्वी)ने यहा की श्रान्तरिक परिस्थिति का ही सुधार नहीं किया
१-२ द्रष्टव्य-कलीर, प्रथमं भाग ।
३-४. द्रप्टब्य-ए हिस्ट्री ग्राफ करमीर ४
इसी काल को जम्मू-कश्मीर यूनिवरसिटी रिव्यू-जून १९६० के शक मे प्रो
जियालाल कौल ने इस प्रकारे प्रस्तुत व्यि है
क--शभ्रारम्भिक काल (श्रारम्भ से सन् १५५५ ई० तक) यह काल नाहमीर
के वश (सुल्तान) की राज्य-समाप्ति श्रथवा उस समय तक माना
लाता है जब सुल्तान हबीबदाह को सिंहासन से उतारा गया श्रौर
गाज़ी चक सिंहासनारूढ हुआ ।
ख--द्वितीय काल (सन् १५५५ ई० से १७५२ ई० तक) यह काल चको के
समय से उस समय तक माना जाता है जब कदमीर पर श्रहमदशाह
दुरानी ने श्राक्रमशण किया श्रौर तृत्पष्चात् मुगल राज्य की. समाप्ति
इई । ,
ग-- तृतीय काल (सन् १७५२ ई० से सन् १६२५ ई० तक) यह एक एसी
लम्बी अवधि है जिसे निम्नलिखित विभिन्न भागो मे विभक्त किया
गयाहै।
१ सन् १७५२ ई० से लेकर सन् १८४६ ई० तक-प्रफगानो के समय से
लेकर डोगरा राज्य के प्रारम्भ तक । ए
२. सन् १८४६ ई० से लेकरःसन् १८८५ ई० तक-पहते दो डोगरा
राजाश्नो-महाराजा गुना सिह तया महाराजा रणवीर सिंह का
राजत्व काल 1
` ३ सन् १८०५ ई० से लेकर सन् १६२५ ई० तक महाराजा प्रतापत्तिह्
का समयं ।
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स्ट्रीट, कलकत्ता (१९५४), पृष्ठ १९४५३
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