बीसवीं सदी का साहित्य खंड 9 | Biswi Sadi Ka Sahitya Vol. 9

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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घर से निकलकर पति के भाई की कब्र दूँढ़ने कोरियाई सीमा की तरफ़ चल दी थी । किसी तरह उसने वह कब्र दूँढ़ ही निकाली और उस हँसमुख किसान को फिर से पूरे सम्मान के साथ नई जगह दफ़नाया गया । इस कहानी के पात्रों का एक अनोखा सहचर भी है और वह है साही का बच्चा । जब तक परनानी जीवित थी साही का वह बच्चा भी घर में ही रहता था । परनानी के स्वर्ग सिधारते ही वह भी कहीं लुप्त हो जाता है । इस कहानी में मानवीय संवेदनाओं को काव्यात्मक ढंग से और अन्योक्ति के द्वारा प्रस्तुत किया गया है। अनातोली किम की कथा शैली की यही सबसे बड़ी विशेषता है। व्लदीमिर सोलोऊखिन की छड़ी शीर्षक कहानी मैं. फ़ैशन से बाहर हो चुकी छड़ी जैसी महत्त्वपूर्ण वस्तु का विस्तार से वर्णन करते हुए अतीत काल में प्रचलित तरह-तरह की क्रीमती और दुर्लभ छड़ियों को पाठकों के सामने रखा गया है । छड़ियों से भी अधिक महत्त्व उनकी मूठों का रहा है जो एक-से-एक क़्ीमती वस्तुओं की बनी होती थीं । कहानी के मुख्य पात्र अलेक्सेड ने तो अपने जीवन में पता नहीं कितने प्रकार की छड़ियाँ जमा करके रखी थीं । परन्तु जब छड़ियों का जमाना निकल गया तो छड़ियों को भी भुला दिया गया । अलेक्सेइ को तो छड़ी लेकर चलना इतना अधिक पसन्द था कि एक बार उसके सामने जीवन का सबसे बड़ा प्रश्न खड़ा हो गया था--या तो छड़ी रहेगी या उसकी प्रेमिका ल्युबोव व्लदिमीरोव्ना जो सोचती थी कि छड़ी लेकर चलना लैंगड़ेपन की निशानी है। छड़ी जैसी एक मामूली-सी चीज़ के मारे दोनों के रास्ते अलग-अलग हो जाते हैं। व्लदीमिर सोलोऊखिन को हम परम्परागत शैली का कथाकार मान सकते हैं । यह कहानी उनकी रचनात्मकता का एक नमूना प्रस्तुत करती है। व्लदीमिर सोलोऊखिन के कई उपन्यास भी चर्चा में रहे हैं। यदि फ़्योदोर अब्रामोव बसीली बेलोव वलेन्तीन रस्पूतिन ग्रामीण लेखक हैं तो इस संग्रह के अन्य बहुत-से कथाकार इनसे बिल्कुल ढंग के हैं । वे किसी सीमा में नहीं बाँधे जा सकते हैं । उनकी कहानियाँ या तो शहरी जीवन पर केन्द्रित हैं या किसी विशेष परिस्थिति को लेकर लिखी गयी हैं जिनका सम्बन्ध आधुनिकता से भी माना जा सकता है । यूरी चीफ़ोनोव विक्तोरिया तोकारेवा व्याचेस्लाव पेत्सूख़ नताल्या बरान्स्काया को इस श्रेणी के कथाकारों में रखा जा सकता है । यूरी रीफ़ोनोव की कहानी यात्रा अपनी ही ऊब में उलझे हुए व्यक्ति की कहानी है जिसे स्वयं पता नहीं है कि उसे करना क्या है और वह सोचता रहता है कि केवल एक ही चीज उसे बचा सकती है और वह है यात्रा । पर दिन भर इधर-उधर जाकर और तरह-तरह के परिचित-अपरिचित लोगों को देखकर अन्त में उसकी समझ में आ जाता है कि वह स्वयं को ही कितना कम जानता है । यही आज के जीवन की विडम्बना है जो त्रीफोनोव की और भी बहुत-सी कहानियों में मिलेगी । यूरी तरीफोनोव की दूसरी कहानी घिसे-पिटे विषय लेखक की उस मन स्थिति 14 / आधुनिक रूसी कहानी




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