महाकवि केशवदास की कवि प्रिया | Mahadevi Kashavdas Ki Kavipriya

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Mahadevi Kashavdas Ki Kavipriya by श्री लच्मीनिधि चतुर्वेदी - Shree Lchminidhi Chturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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घर्म का प्रकाश फैलाया श्रौर सारे जगत को जीतकर काशी में निवास किया | वहाँ उनके नाम से करणु-तीर्थ रब भी ग्रसिद्ध है । उनके पुत्र अजु नपाल राजा हुए जो महोनी गाँव में रहने लगे । उनके पुत्र राजा साहनपाल हुए जिन्होंने गठकुँ डार में निवास किया । उनके पुत्र सहज करण हुए जो शत्रुश्रों के लिए काल स्वरूप थे । उनके पुत्र राजा नौ निकदेव हुए और नौनिक देव के पुत्र पथ के समान प्रथ्वीराज हुए | उनके पुत्र सय के समान राजा. रामांसिंह हुए श्र रामांसिंह के पुत्र चन्द्र राजचन्द्र हुए । राजचन्द्र के पुत्र राय मेदिनीमल हुए जिन्होंने शत्रुद्यों का घमंड चूर करके पृथ्वी पर धर्म का प्रकाश फैलाया | उनके पुत्र अजु न स्वरूप राजा अजु न देव हुए जिन्हें प्रथ्वी के सभी राजा श्रीनारायण का मित्र ही कहा करते थे और जिन्होंने पोड़घ महा- दन दिये तथा चारों दिशाश्रों के राजाओं को जीत लिया चारों वेद तथा श्रठारहों पुराणों को सुना । उनके पुत्र वैरियों कों मारनेवाले श्री मलखानिसिंह हुए जो कभी युद्ध होने पर पीछे नहीं मुड़े और जिन्हें सारा जगत जानता था | उनके पुत्र युद्ध में रुद्रूप धारण करनेवाले प्रतापस्द्र हुए जो दया तथा दान के कल्पतरु श्र गुणों के कोष तथा शील के समुद्र थे । उन्होंने श्य्रोरछा नगर बसाया जिससे संसार में उनकी कीत्ति फैली तथा छष्णुदत्त मिश्र को पुराण सुनाने की .व॒ुत्ति प्रदान की | उनके पुत्र भारतवष्र की शोभा-स्वरूप भारतीचंद हुए जिन्होंने हरिचंद के समान देश को रसातल जाने से बचा लिया और शेरशाह सलेम की छाती में तलवार घुसेड़ दी । श्रपने समय में उन्होंनें श्री चतुमु ज नारायण को छोड़ और किसी दूसरे को सिर नहीं भुकाया । उपजि न पांयों पुत्र तहिं. गयो सु प्रथु सुर्लोक। । सादर मघुकरशाह तब भषे भये मुविल्लोंक ।/२१॥ जिन क॑ राज रसा बसे. केशव कुशल किसान । सिन्घु दिशा नहिं बारही. पार बजाय निशान ॥र९।




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