कीर्तन प्रणाली के पद | Kirtan Pranali Ke Pad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
50 MB
कुल पष्ठ :
430
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पद्-संख्या पद् -रतीक पृष्र-संस्या
(दाढ़ी ठाड़े होय के नंद्रायजी कू संग ठाडे राख
के गावे) ।
** नंदजू मेरे मन आनंद भयो ० (पद-सं,२१)
ˆ` हों बज माँगनो जू० ( + २०)
` नंदज् तिहरे सुख दुख० ८ » रर)
धीरे-धीरे चलनो०
` * व्रजपति माँभिये जू° (पद-सं, २३)
(भये पुरंदर चले पुर्न की यातुक सू, जगमोहन
मे पधार तब०)
जगमोहन के बाहर आय के०।
'्रजभयोः मे से “निल निकसी है देत श्रसीसः
बेठक में आयके पूरो करनो । फेर--
७३ गहयो नंद सष गोपिन° २१
,. भाद्र > ६ ( श्रीब्रजभूषणजी मददाराज को उत्सव )
मंगल आरती ।
७४ आज बधाई मंगलचार ० २२
राजभोग श्राये |
७५ भ्रीलदछमन गृह महामगल भयो० २२
७६ सुभ वेसा कृष्ण एकादशी ° २२
७७ ञे वसुदेव किये पूरन तप० २२
५७८ श्रीवल्नमनन्दन सूप अनूष० २२
भोगसरे |
७६ गोबल्लभ गोवधघेन बल्लभ ०
राजभोग दुशन ।
८० जब मेरो मोहन चलेगो °
अआरतो समय ।
** आज बधाई को दिन नीको ० (पद-सं, १३)
मोग के दशंन।
८१ जो पे श्रीधिद््ल खूप न धरते
८२ नांतर लीला होती जूनी ०
रस
२२
२२
२२
४
)
पद-संख्या पद्-प्रतीक् पष्ठ-संख्या
संघ्या समय ।
ˆ * मेरे मन आनंद भयो० (पद-घं, २७)
शयन भोग अये
८३ भक्तिसुधा बरखत ही प्रगरे ० २३
८४ श्रीलछ्मन गृह प्रगट भये ह° २३
८ श्रीवल्लमलाल फे गुन गाङ० २३
८६ आज घन भाग्य दमारे० २४
भोगसरे ।
८७ गाऊँ श्रीचल्लभनंदन के गुण ० २४
शयन के दुशन ।
** यह घन धमं दीं ते पायो० (पद-सं, ३३)
** जसुभति हिद्दारों घर सुबस० (पद-सं,७२)
पोढवे में ।
८८ कु जमवन आज मंगल है री २४
८& कज भवन मं पौटे दोऊ० २४
भाद्र ० १० मंगला दशन ।
६० ज्ञा दिन कन्हैया मोतं मेया २४
गार समय।
8१ सोभित कर नवनीत लिये ० २४
8२ ब्रज की रीत अनोखी री माइ० २५
* बाला मैं जोगी जस गाया० (पद-स,६३)
गार दशन ।
६३ श्राज प्रात दी तुतरात ०
राजभोग आये, भोजन के कीतन ।
राजभोग दर्शन ।
** नंदजू मेरे मन आनंद भयो (पद-सं. २१)
९न
8४ आंगन खेलिये भनक-मनक० २५
भोग के दशन ।
६५ दुरहँकर फोदना सुख मेलत ० २५
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