भारती का सपूत | Bharti Ka Sapoot

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Bharti Ka Sapoot by रांगेय राघव - Rangeya Raghav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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-~-१४- सेको बसौ पदले गुज्जर चुका था । वास्तव में दास प्रथा के अंत के साथ उस समय से सामंतवाद श्राया श्रोर खूब ही पनपा । उसने इतिहास में प्रगति की । पर वह फिर बोभ बन गया । ६०० ईं० के करीब भारत में दलित जनता सिर उठाने लगी । यह विद्रोह पन्द्रहवीं सदी में कबीर में पूरा हुआ । परन्ठु उत्पादन




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