हिटलर की विचार - धारा | Hitalar Ki Vichar - Dhara
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
40
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री रामनारायण 'यदवेन्दू ' - Shri Ram Narayan 'Yadwendu'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिटलर को विचारधारा
संख्याधिक्य का सिक्का जमाया जाय । राजनीति की दुनिया में
इस सिद्धान्त ने पार्लिमेंटरी शासन-विधि का रूप पकड़ा । छोटी-
से छोटी समिति से लेकर सारे साम्राज्य में इस विषाक्त सिद्धांत
से काम लिया जारहा है।” ( मेरा संघष प्र० १०४ )
““आआदि-काल से लेकर यहूदी अब तक ज्यों का त्यों है । उसके
मस्तिष्क या विचारो का कोह विकास नहीं हुआ ।” ( मेरा संघष
प्र० 2४)
“इसका कारण यह है कि यहूदियों के सामने कभी कोई
दशं नहीं रहा ।” ( प्र° ५५ )
५ --लोक मंगलकारी सभ्यता या संस्छरति क त्तत्र में यहूदियों
की काद देन नहीं है । कला या साहित्य की दुनिया में भी इनका
कोई स्थान नहीं है ।” ( प्र० ५५)
“जमेन लड़कियों को बरगलाना आर उनका सत्यानाश कर
उन्हें कुलटा बनाना यहूदी युवकों का धार्मिक कत्तेड्य-सा होरहा
था । इनका एक सुव्यवस्थित ऊन्द्र था । सारी जमेन जाति को
वण संकर बनाने काये बीड़ा उठा चुके थे । राइनलेंड में नीग्री
लोगों को ये ही लाये । इनका उदेश्य यह था कि नीमो लोगों
( हबशियों ) के द्वारा सारी जाति को वण संकर बनाया जाय ।
क्योकि ये भली भांति जानते थे कि जब तक जमेन प्रजा का रक्त
शुद्ध श्रौर उसकी नस्ल ठीक है, तच तक ये उस पर पूरा प्रभुत्व
नीं स्थापित कर सकते । यहूदी इस बात का भली भांति समते
है कि उनका सिक्का वणं संकर प्रजा परद्टी जम सकता है ।”
( मेरा संघषं प्र० ६१-६२ )
““इस विषली साक्सेबादी विचारधारां के घातक प्रचार से
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