हिटलर की विचार - धारा | Hitalar Ki Vichar - Dhara

Hitalar Ki Vichar - Dhara by श्री रामनारायण 'यदवेन्दू ' - Shri Ram Narayan 'Yadwendu'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिटलर को विचारधारा संख्याधिक्य का सिक्का जमाया जाय । राजनीति की दुनिया में इस सिद्धान्त ने पार्लिमेंटरी शासन-विधि का रूप पकड़ा । छोटी- से छोटी समिति से लेकर सारे साम्राज्य में इस विषाक्त सिद्धांत से काम लिया जारहा है।” ( मेरा संघष प्र० १०४ ) ““आआदि-काल से लेकर यहूदी अब तक ज्यों का त्यों है । उसके मस्तिष्क या विचारो का कोह विकास नहीं हुआ ।” ( मेरा संघष प्र० 2४) “इसका कारण यह है कि यहूदियों के सामने कभी कोई दशं नहीं रहा ।” ( प्र° ५५ ) ५ --लोक मंगलकारी सभ्यता या संस्छरति क त्तत्र में यहूदियों की काद देन नहीं है । कला या साहित्य की दुनिया में भी इनका कोई स्थान नहीं है ।” ( प्र० ५५) “जमेन लड़कियों को बरगलाना आर उनका सत्यानाश कर उन्हें कुलटा बनाना यहूदी युवकों का धार्मिक कत्तेड्य-सा होरहा था । इनका एक सुव्यवस्थित ऊन्द्र था । सारी जमेन जाति को वण संकर बनाने काये बीड़ा उठा चुके थे । राइनलेंड में नीग्री लोगों को ये ही लाये । इनका उदेश्य यह था कि नीमो लोगों ( हबशियों ) के द्वारा सारी जाति को वण संकर बनाया जाय । क्योकि ये भली भांति जानते थे कि जब तक जमेन प्रजा का रक्त शुद्ध श्रौर उसकी नस्ल ठीक है, तच तक ये उस पर पूरा प्रभुत्व नीं स्थापित कर सकते । यहूदी इस बात का भली भांति समते है कि उनका सिक्का वणं संकर प्रजा परद्टी जम सकता है ।” ( मेरा संघषं प्र० ६१-६२ ) ““इस विषली साक्सेबादी विचारधारां के घातक प्रचार से १४




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