श्रमण सूक्त | 1889 Sraman Sukt
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.98 MB
कुल पष्ठ :
494
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घिरत्थु ते जसोकामी
जो त जीवियकारणा |
वन्त इच्छसि आवेउ
सेय ते मरण भवे | |
(दस २ ७)
है यश कामिन् । घिककार है तुझे ! जो तू क्षणभगुर
जीवन के लिए बनी हुई वस्तु को पाने की इच्छा करता हे |
इससे तो तेरा मरना श्रेय है।
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