समर्थ समाधान भाग III | Samrth Samadhan Bhag -iii

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Samrth Samadhan Bhag -iii by घीसूलालजी पितलिया - Gheesulalji Pitliaसिरियारी - Siriyari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१४) प्रदनांक पृष्ठांक १५७६ निर्प्य लिंग सिद्धा का उल्लेखं क्यौ नहीं ४ १४५७७ शुभभाव च शुद्धभाव में क्या अन्तर ? ५६ १४७८ मंत्र सहामणि विजय भाल के......... वया अथं ? ५७ १५७६ धर्मां पाप किस प्रकार १५७ १५८० महाविदेह के साधघु-साध्वी मुखवस्त्रिका रखते हैं या नहीं ? ९७ १५८१ नरक देवलोक कै प्रतर सीध मे या उपर नीचे ५८ १५८९ ढाई द्वीप के वाहर वृघ्टि के अभाव मेँ वनस्पति कंसे ? ५८ १५८३ भवनपतियों के दण्डक १० करयो ? ४८ १५८४ अलोक मेँ माठ विदिशा क्यो ? ४५६ १५८५ प्रज्ञापना सूत्र चरम अचरम के २६ मांगों का विस्तार ५६ १४५८६ साधु को अव्यक्त स्त्री पशु का संघट्टा लगे या नहीं ? ६१ १५८७ भाषा की उत्पत्ति व नार के भेद ६५ १५८८ भौदारिक बंदेलक से असंख्यात लोक कंसे भरे ? ६६ १५८९ क्या नारकी जीवों के पुष्य निजंरा नहीं ? ६६ १५६० आका का रंग नीला षयो ? ६७ १५९१ घ्राणेन्िय, रसनेन्द्रिय, स्पर्शेन्द्िय फा विषय ९ योजन कंसे ? ६७ १५९२ इंद्रिय उपचय निर्वर्तना किते कहते ह ? ६७ १५९३ तियेञ्च में विकुर्वणा शवित्त किनमे ? ६८




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