छह ढाला | Chhah Dhala

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Chhah Dhala by दौलतरामजी - Daulatramji

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महान भक्ति कवि पं दौलत राम का जन्म तत्कालीन जयपुर राज्य के वासवा शहर में हुआ था। कासलीवाल गोत्र के वे खंडेलवाल जैन थे। उनका जन्म का नाम बेगराज था। उनके पिता आनंदराम जयपुर के शासक की एक वरिष्ठ सेवा में थे और उनके निर्देशों के तहत जोधपुर के महाराजा अभय सिंह के साथ दिल्ली में रहते थे। उन्होंने 1735 में समाप्त कर दिया था जबकि पं। दौलत राम 43 वर्ष के थे। अपने पिता के बाद, उनके बड़े भाई निर्भय राम महाराजा अभय सिंह के साथ दिल्ली में रहते थे। उनके दूसरे भाई बख्तावर लाई का कोई विवरण उपलब्ध नहीं है।

पंडितजी के प्रारंभिक जीवन और शिक्षा के स्थान के बारे में कोई विवरण उपलब्ध नहीं है। दौलत राम। चूंकि उनके प

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बड २. (११) रागादि भाव हिसा समेतादवित भ्रसथावर मरण सेत १४ जे किया तिन्ह जानहु कुधमीतिन सरपे जीव छह अरर्म॥ य रदीतमिष्यात जान।व सुन महीत जो है अजान १२ भाबर्हिसा=( सं० ) भोका दुखना दुखाना, दर्वित-( नि० ) प्रगररूपसे प्राणोंका जाना हो जिसमें: खेत सं० ) दिकाना. . भवर्म- सं० ) दुख, जिन कार्यो रागढ्ेप पैदा हो, अपने और दूसरेके भागोंको दुख हो तथा प्रणटरूप तरप ओर थावर जीदोंके मरनेका ठिकाना उनको सोटा धर्म जानो, ऐसे कुधमंको जो धर्म समझे वह दुखपाताहैं, ऊपर कहे अनुसार खोटे गुरु, देव, और भर्मका जो श्रद्धान सो ग्रहीत मिथ्यादशनहै अब ग्रहीतमिथ्याज्ञानका हाह सुनो | एकान्तबाद-दूषित समस्ताविषयादिक पोषकभप्रशस्त॥ कपिठादिरचित श्रुतकाअभ्यास।सोहे छुवोध बहुदेनव्रास एकान्तवाददूषित=( वरि० ) नो एकनयको पकड़फर उसके ठते दोषी, समख-( बि० ) अप्र्स्-( वि० ) सीदे जो एकषान्तपकसे दोपीरै, पवय विपय कपये इद्‌ फे धारे ओर कपि आरिके बने हृ दै रेषे सवे सोरे शासन पना सो बहुत दुःख देनेवाला भिध्याहान है । जो स्यातिलाभपूजादि चाहाधरकरतविविधविषदेहदाह आतम अनातमके ज्ञान हीनाजेजे करनी तन करन छीन ख्याहिन( सं० ) नामवरी, . विविध वि० ) गानापकार: कनी=( स० ) कायं छीनकरन न वि० ) नाशकरनेगाढ़ी, अनातम-( से० ) देहादि अपनी नामी, रुपये पेसेका ठाभ और अपनी पूजा अ्रतिष्ठाकी चाहा मनम थारकर जो तरह २ की रीतियाँसे शरीरको जाना




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