प्रणय पत्रिका | Pranay Patrikaa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ऋम संख्या
५२.
१,
५५.
६.
५७,
१८,
५६९.
मेरे उर की पीर पुरातन तुम न हरोगे कौन हरेगा
आज मलार कहीं तुम छेडे, मेरे नयन भरे आते ह
मं दीपक हं, मेरा जलना ही तो मेरा मुसकाना है
मेरे अंतर की ज्वाला तुम घर-घर दीप शिखा बन जाओ
हे मन के अंगार, अगर तुम लौ न बनोगे, क्षार बनोगे
तन के सौ सुख, सौ सुविधा में मेरा मन बनवास दिया-सा
तुमको छोड़ कहीं जाने को आज हृदय स्वच्छंद नहीं है
१२
पृष्ठ संख्या
१२०
१२२
१२४
१२६
१२८
१२३०
१३२
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