कर्तव्य | Kartavy
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
187
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ट कर्तव्य
खड़े हुए आभूषण पहन रहै ह । सीता पास में एक सुवर्ण के थाल मं
आभूषण लिए हुए खड़ी है । राम लगभग २५ वषं के अत्यन्त सुन्दर
युवक हे । वर्ण साँवला है । कटि से नीचे पीले रंग का रेदामी अधोवस्त्र
धारण किये है । कटि के ऊपर का भाग खुला हुआ है । हाथों में सुवणं
के रत्न-जटित वल्य, भुजाओ पर केयूर ओर अंगुलियों में मुद्रिकाएँ
धारण किये हं । ललाट पर केदार का तिलक है । सिर के लम्बे केश
लहरा रहे है, पर मृछें-दाढ़ी नहीं है । सीता लगभग १८ वषं की गौर
वर्ण की अत्यन्त सुन्दर युवती है । नीली रेशमी साड़ी पहने हु, ओर उसी
रग का वस्त्र वक्षस्थलं पर बेधा हं । रत्न-जटित आभूषण पहने है ।
ललाट पर इगुर की टिकली और सांग में सेंदुर है । लम्बे बालों का
जुड़ा पीछे बंधा है, जो साडी के वस्त्र से ढँका हूं । पैरो में सहावर लगा
है । दोनों के सुख पर हर्घ-युक््त दाति विराज रही है । सीता के नेत्र
लज्जा से कुछ नीचे को भुके हुए हें, जो उनकी स्वाभाविक मुद्रा जन
पड़ती है 1]
राम--(हार पहन चुकते पर कुण्डल पहनते हुए) देखना है, प्रिये,
इस भारी उत्तरदायित्व को सँभालने और अपने कतंब्य को पणं करने मे
मे कहँ तक कृतकृत्य होता हूँ । दायित्व ग्रहण करने के लिए एक पहुर
ही तो दोष है, मैथिली ।
सीता--हॉ, नाथ, केवल एक पहर । सफलता के सम्बन्ध मे प्रदन
ही निरथेक है, आयेंपुत्र । यदि ससार मे आपको ही अपने कतंब्य में
सफलता न मिली तो अन्य को मिलना तो असम्भव हैं ।
रास--(किरोट लगाते हुए) परन्तु, वैदेही, किसी कार्यं का उत्तर-
दायित्व सँभालने के पुवं वह् कायं जितना सरल जान पडता है उतना,
दायित्व ग्रहण करने के पब्चात् नही । महर्षि विश्वामित्र की यज्ञ-रक्षा
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