आचार्य सन्त भीखणजी | Achary Sant Bhikhanji
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० आचाय संतं भौ्रणसी
भि सप्रषट त्यायियोँ के ुक्टमणी दथा तत्वज्ञान ओर अखयड
आत्म~ज्योतिकर धारक महापुरूष अवश्य निकले ।
दीपॉयाई ने आखिर दीक्षाकी शनुमति दे दी। शपते वंधन्य जीवन
लि मात्र सहारे और हुछारे पुन्रको इस प्रकार दीक्षा की अनुमति देकर दीपों-
बाईने जिस साइस शोर धमप्रेम की भावमाका परिचय दिया बह एक मदान्
साताके अनुरूप ही था 1 उनकी यदद स्योछावर हुनिया को प्क कितनी धषी
इन थी इसका जामास पाठकों को आगे जाकर होगा ।
दीक्षा लेत समय संत सीसणजीन करीब १०००) रपये अपनों माताके
पास छोड़े । ~
संह मीखणजीकी दीक्षा बगदी धाइर में हुई । आचार्य रुधनाथजीने खुद
अपन दायने उर दीक्षा दी । उस समय संत सीसणभी की अवस्था ९५ चथ
की थी । इस तरह ३५ यर्थ का बह तेजस्वी युवक अद् सुत वैराग्य भावमा्गेति
उच्छदासित हो स्याग मार्ग का वीड़ा उठा निननेयशके मार्ग पर भपसर दुआ 1
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