चित्रकूट धाम मण्डल में सरकारी चिकित्सालयों के चिकित्सा अधिकारियों एवं मरीजों के परस्पर सम्बन्धों एवं दृष्टिकोणों का समाजशास्त्रीय अध्ययन | Chitrakoot Dham Mandal Men Sarakari Chikitsalayon Ke Chikitsa Adhikariyon Evm Marijon Ke Paraspar Sambandhon Evm Drishtikonon Ka Samajashastriy Adhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
188 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शाखा है जिसके अन्तर्गत संज्ञानात्मक संरचना का अध्ययन भूमिका सम्बन्ध मूल्य
व्यवस्था, धार्मिक कृत्य, व्यवहार मेँ व्यवस्थाओं के रूप मे ओषधि विज्ञान का प्रकार्य आदि
का अध्ययन किया जाता है। '
05210 प्रशा ने लिखा है कि चिकित्सा समाजशास्त्र का समाजशास्त्र के लिए
कोई विशेष महत्त्व नहीं है। चिकित्सा समाजशास्त्र की समस्याओं पर समाज वैज्ञानिक
विश्लेषण सामाजिक संगठन के सामान्य प्रारुपों पर प्रकाश डालता है |
४.11 0रफ2 ने लिखा है कि “समाजशास्त्र को तो हम इन परिभाषाओं से
समझते हुए कह सकते हैं कि यह समाज और सामाजिक व्यक्ति की समस्त सामजिक
कृतियों एवं अन्तःक्रियाओं का व्यवस्थित अध्ययन है किन्तु औषधि (नब्तांलएथ) को
सम्पूर्ण रूप मे समझने के लिए यह जानना पड़ेगा कि अपने विस्तृत अर्थ में जिसमें अनेक
बातें आती हैं जैसे रोग का अर्थ, प्रकृति, कारण, विस्तार और व्याख्या, निदान का ज्ञान,
श्रोत, स्वास्थ्य तकनीक, उपचार के ढंग, सहायक आवश्यकताएँ, औषधियाँ एवं उनकी
प्रकृति, उपचार तथा सेवा संगठन, कार्मिक प्रबंध तथा विषय अनुसंधान ओर अन्ततः
उपरोक्त सभी के सम्बन्ध में तार्किक निर्णय जिनकी क्रियान्विति का मूल्यांकन करते हुए
नीति निर्धारण आवश्यकता तथा प्रासंगिकता के आधार पर किया जाता रहे 1.
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि स्वास्थ्य का रोग और उसके कारण, स्वरूप तथा
विस्तार से सम्बन्ध है तथा रोग की कारणात्मक व्याख्या, रोकथाम और निदान का
सम्बन्ध स्वास्थ्य के रख रखाव से है । स्वास्थ्य एवं रोग एक ही सिक्के के दो पक्ष है|
इस उदाहरण को सामाजिक जीवन के किसी भी परिवेश मे उतारा जा सकता है।
जैसे-पारिवारिक संगठन के कारक उसके रख - रखाव के लिए उपयोगी हं किन्तु वहं
कारक जो इस संगठन को चुनौती देकर विघटित करते हैं उन्हें भी उसी प्रकार से जानना
आवश्यक है। इसी क्रम में यह भी कहा जा सकता हे कि जहां समाजशास्त्र को
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