प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी | Pradhanacharya Shri Sohanalal Ji
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
474
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रस्तावना
श्राज भारत को स्वतंत्र हुए लगभग छे वर्ष हो गए, किन्तु
उसमें स्वराज्य स्थापित हो जाने पर भी स्वराज्य की स्थापना
श्रभी सृगसरीचिका ही बनी हई है । युद्धपूवं काल की महंगाई
सुरसा के बदन के समान इतने भयंकर रूप में बढ़ती जाती है
कि आज अत्यधिक बेरोजगारी बढ़ जाने पर भी महंगाई कम
नहीं होती । युद्काल की अपेक्षा तो वह कई शुना बढ चुकी है ।
यद्यपि भारत के प्रधानमंत्री मानवोचित गुणो से विभूषित
एक उच्चकोटि के राजनीतिक व्यक्ति है, किन्तु तव भी देश
में भ्रष्टाचार, घूसखोरी, पक्षपात तथा चोर बाजार आदि की
बुराइयां इतने अधिक परिमाण में प्रचलित हैं कि उसमें त्यन्त
सम्पन्न तथा निम्न श्रेणी के मजदूर ही अपना निवाह सुचारु
रूप से कर सकते है । मध्य श्रेणी तो उसके कारण एकदम नष्ट
होती जा रही है । मध्य श्रेणी में आज, इतनी भयंकर बेकारी
शादे हुड है कि योग्यतम व्यक्ति को भी राज काम मिलना
श्रसम्भवध्राय है ।
शासन में भ्टाचार तथा पक्तपात इतना अधिक बढ़ गया
है कि जब कोई स्थान खाली होता है तो जनता को उसकी
५ सिंलने से पूर्व ही पदाधिकारी लोग उसकी पूर्ति कर
- लेते हैं ।
इस प्रकार हमारे भारतीय समाज मे आज ्राचरए की चुट
इतनी श्रयिक हो गह है कि जितनी कभी भी नहीं थौ । यह् एक
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