डिंगल मैं वीर रस | Dingal Main Veer Ras
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
172
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६ 9
माटी माटी बातों का ज्ञान हो जाय। लेकिन जो लागं इस :विषय में
अधिक जानकारी प्रास करने के इच्छुक हे! उन्हें चाहिए कि. वेः पृथ्वीराज;
दश्वरदास, सूर्यमल श्रादिं डिंगल. के. प्रसिद्ध प्रत्तिद कृंवियों के अंथों का
अध्ययन करें । इससे उन्हें डिंगल .साहित्य की गहनता;- उसके सौन्दर्य
एवं सजीवता का पता भी लग जायगा और डिंगल व्याकरण विषयक
वहत सी नई बातें भी मालूम होंगी ।
( १ ) उच्चारण :
(श्र ) डिगल मेंशलः का. .उच्वारण कीं 'ल' श्रौर कहीं वैदिक
भाषा के 'छ'. की भाँति मूघन्य होता है। श्राजकल बहुत से विद्वानों में कः
की दृष्टि से यह ग़लत है । यह “छठ जब किसी. शब्द के बीच में श्राता
हे तव उसके स्थान पर लः लिख देने से उसके अथं मे कोई विशेष
अंतर नहीं पड़ता । प्र् व्हुत से ठकारान्त शब्द ऐसे हूं जिनको लकीरान्त
कर देने से उनका श्रर्थ बदल जाता है। इस तरह के शब्दों के थोड़े
से उदाहरण देखिये ।
शब्द पर्थ ` शब्द : श्रं
साठ पनाला , खाल ` चेमड़ा
गाठ गुड़ . शाल वृत्ताकार
माटी जाति विशेष माली . धन सम्बन्धी `
काठ मृत्यु - काल कल, दूसरा दिन
छुच्ठ वंश कुल - - सव, तमाम ““
` पक ` . . द्रवाज्ञा. . पोल . „` : अेरःःखोखलापन
. गाढ. `... गालीषदुर्वचन . . गालः . : ˆ कपोलः. > :
भाक . शिकारक्रीखोज भाल. .. ;. ललाट. `>:
चंचठ. . .घोडा . . चंचल चपल. `; ` +
( आ० ) डिगलः की व्ण॑माला मे तालव्य “श' श्रौर-मूंद्न्य “वर
नदीं है: । 'प? का प्रयोग. ख” के रूप में होता है । लिखने मे तालेग्यं
शः? के स्थानं पर भी दन्त्य शस ही. लिखा जाता है; पर बोलते पंच
जहाँ जिस शकार अथवा सकार की श्रावश्यकता होती है, वहाँ वहीं
वोला जाता है, जैसे : =
देखे अकबर दूर, घेरो दे दुसमण घडा । “` -
सागाहर रण सूर, पैर न खिसे प्रतापसी ॥
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