मनुष्य जाति की प्रगति | Manushy Jati Ki Pragati

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : मनुष्य जाति की प्रगति  - Manushy Jati Ki Pragati

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भगवानदास केला - Bhagwandas Kela

Add Infomation AboutBhagwandas Kela

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
दो दृष्टिकोण धू चलां गया श्र हमेशा के लिए चला गया, ब्रहत से हिन्दग्रोका विचार है किं कालचक्र घृमता रहता है| सतयुग के बाद त्रेता श्और द्वापर नामघाले युगो के बीते पर कलियुग श्रता है । उसके बाद फिर सतयुग श्रा जाताहै) इत तरह सतयुग श्र कलियुग बारी-बारी. से त्राते ह, श्र्थात्‌ पदले उत्यान किर पतन । इसके बाद फिर उन्नति और फिर श्रवनति होती रहेगी । इस मत के अनुसार अब श्रवनति का चक्र चल रहा दै श्र श्रमी कुछ समय तक यही चलता रदेगा | दूसरी विचार-घारी उन लोगों की है, जो भविष्य की श्रोर देखते हैं | ये, विकासवाद को सानते हैं । इनके विचार से प्राचीन काल. में आदमी बिलकुल जड़ली द्ालत में था । उसने धीरे-धीरे उन्नति की। प्रत्येक पीढ़ी के आदमी श्रपने पूवजों सें कुछ-न-कुछ श्रांगे बढ़ते हैं | विकाखवादी. यह ` मानते ह कि श्रादमी दूसरे प्राणियों का विकसित स्वरूप दै । वैक्ञानिकों का मत दै फि पदतले पृथ्वी श्राग कौ तरह गरम थी, वदद घीरे-घीरे ठंडी हुई । तब उसके चारों श्रोर की भाफ को पानी बन गया, उस धानी से समुद्र वना} पानी मं पहले घास की तरह के जीव बने, और, उन जीवों से सछुलियां या. घोंवे श्रांदि । किर इनसे कुवे मेंढक त्रादि बने, जो जल मे भी रह सक्ते ई, श्रौर थल यानी खुश्की पर भी । उ्यो-ज्यों जमीन की दलित बदली; त्यों-त्यों उस प॑र रदनेवाले पशु, पती मी बदलते गये । ये परिवतंन धीरे-धीरे लाखों वषं में हुए हैं। सब से श्राखिरी पशु बन्दर व्र वनमानुस ई, उन्दी बदल कर श्रादमी बना है । आ्रादमी ओर जानवरों में बड़ा फ़रक यह है कि श्रादमी में बुद्धि या तके शक्ति होती है, वह नये-नये श्राविष्कार करता रदता हे । हिन्दुओं के दस अवतारों का क्रम भी विकासवाद से मिलता. हु है | हिन्द शास्त्रों में कहा गया है कि मद्दाप्रलय के वाद साष्टि में केवल जल ही जल रह गया था ] पहला श्रवतार मत्स्यावतार' म्ली के रूप,में हुश्रा, जो जल में रहती है । दूसरा श्रवतार “कुमावतार” कछनें के रूप में हु्रा, जो कि जल में तो रददतां दी है, पर जरूरत होने पर थल्ल




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now