भाव और अनुभाव | Bhav Aur Anubhav

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Book Image : भाव और अनुभाव  - Bhav Aur Anubhav

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मुनि नथमल जी का जन्म राजस्थान के झुंझुनूं जिले के टमकोर ग्राम में 1920 में हुआ उन्होने 1930 में अपनी 10वर्ष की अल्प आयु में उस समय के तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टमाचार्य कालुराम जी के कर कमलो से जैन भागवत दिक्षा ग्रहण की,उन्होने अणुव्रत,प्रेक्षाध्यान,जिवन विज्ञान आदि विषयों पर साहित्य का सर्जन किया।तेरापंथ घर्म संघ के नवमाचार्य आचार्य तुलसी के अंतरग सहयोगी के रुप में रहे एंव 1995 में उन्होने दशमाचार्य के रुप में सेवाएं दी,वे प्राकृत,संस्कृत आदि भाषाओं के पंडित के रुप में व उच्च कोटी के दार्शनिक के रुप में ख्याति अर्जित की।उनका स्वर्गवास 9 मई 2010 को राजस्थान के सरदारशहर कस्बे में हुआ।

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गतिका कम मेने आगे बढ़े हुए पेरसे पूछा, तुम बड़े हो ? उसने उत्तर दिया, नही । फिर आगे क्यो ? उसके ग्वेको सहति हुए मेने कदा । उसने उत्तर दिया, गतिक यही क्रम है । मेने पीछे रहे पैरमे पृछा, तुम छोटे हो ? उसने उत्तर दिया, नही । फिर पोछे क्यो ? उसके 'गर्वपर हलकी-सी चोट करते हुए मेने कहा । उसने उत्तर दिया, गतिका यही क्रम है । मेने दूसरे ही क्षण देखा, ञगेवाला पैर पीछे है और पीछेवाला आये । मे मौन नही रह्‌ सका । में कह उठा, यह क्यो ? दोनोने एक स्वरसे उत्तर दिया, गतिका यही क्रम है । मे विस्मय-भरी आँखोसे देखता रहा - वे अपने लक्ष्यकी भोर वडढते चले जा रहे थे । माव ओर अनुभाव्र १५




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