समयसार | Samaysaar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
268
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री कुन्द्कुंदाचार्य - Shri Kundkundachary
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४
हरी लाल षीली नही हलकी भारी नाहि ।
श्रजर अमर परमातमा रनर पशु के माहि ॥
रोके से रुकती नहीं सब गुण चेतनमा हि।
ठोकें से ठुकती नहीं यह गुण चेतन -.थाहि ॥
गज घोड़ा गाड़ी नहीं गाय मेषनहिउँट ।
चीता रीछ चकोर नहि झातम शिब पद कूट ॥
नहिं यक्तषणी यक्त है व्यैतर भूत पिशाच ।
जगदूंवा दुर्गा नहीं किन्नर किंकर काच ॥
सूयं चन्द्र॒ नागेन्द्र नहि नहि धरणेन्द्र पुरर ।
ज्ञान चेतना राम है ऐसे कहत जिनेन्द्र ॥
चेतन वन्त॒ शरीर म रहे सदा श्रमलान।
नरख परख निज त्रापको मुक्त महल सो पान ॥
श्रव निज म॑ निज ज्ञानले नियत करो परिणाम |
शिव मारग समर करो तव घुघरं सब काम ॥
रागादिवरणा दिसव है पुद्गल कै मेल |
वसुगुण तेरी सुरत है केवल भलके खेल ॥
जगी श्रनादि कौलिमा मोह मेल की बेल ।
भागी मोह की कालिमा निज युए परसो रेल ॥
जय ज्ञान ज्ञाता सवे तीनों भेद मिटाय ।
किरया कतौकर्मका एक दरब दिखलाय ॥
User Reviews
No Reviews | Add Yours...