स्त्री सुबोधिनी भाग - 2 | Stri Subodhini Bhag - 2

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Stri Subodhini Bhag - 2 by सन्नूलाल गुप्त -Sannulal Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समप्पण (र {^ ० दे शषितैषी महादयो | क आपकी करतूत ता वहत कुछ है उसका एस एस उपकार मानना जर यथोचित धन्यवाद देना मेरी जिह और लेखनीका काम नहीं उनकी सामध्य से बाहर हे- केवल मनमात्रकाही अनुभव होसक़ा हैं तथापि में कुछ यथा वुद्धि वल आर सामथ्यं पवक सुदामा क तरल अप्पेण कताहं सीकार कीजियिगा- आपके मदत्काय में सहायता तो यह क्षु्रबद्धि क्या देसक्ला इंपर तोभी जम गिली १ तिनका लेकर रमचन्ध्रनी क पाम सेतु बांधते समय गई थी और मचन्दजीने उसको उसकी सामध्य समञ्चकरि प्रसन्नता से अगीकृत किया था उसी आशासे यह श्रीसवाधिनीः पके चरण कमल में निरवेदित है ग्रहण करिके कताथ कीजियेंगा-- २२ जन ) आपका दासानदास +. धकृता ष्ण ००९०




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