चिन्तन मनन अनुशीलन भाग - 1 | Chintan Manan Anushilan Bhag - 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
214
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अनुशीलन १५.
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का काथं सच्चे धर्मसंशोधक का है । धर्म जब धर्मश्रम से
पृथक् कंरं दिया जायेगा तभी वह भ्रपने उज्ज्वलं रूप में
दिखलाई देगा श्रौर,तभी उसकी सच्ची कीमत झांकी जा
सकेगी ।
“जीवन मे धमं का भ्रत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है, यहां
तक कि धमं के विना. जीवन-व्यवहार भी नही चल सकता ।
जो लोग धमं की. भ्रावइ्यकता स्वीकार .नही करते, उन्हे
भी जीवन मे धर्म का भ्राश्रय लेना ही पड़ता है, क्योकि
धर्म का श्राश्रय लिये बिना जीवन-व्यवहार निभ ही नहीं
सकता. है । उदाहुरणाथं--पांच श्रौर पांच दस होते- हैं, यह
सत्य है श्रौर सत्य धर्म है । जिन्हे धर्म श्रावस्यक नहीं मालूम'
होता उन्हें यह सत्य भी अस्वीकार, करना होगा । |
॥
अहिसा कायरों का धर्म नहीं
श्रत्याचार करता. जंसेः मानसिक दौबेल्य-है,. वैसेः ही.
कायरता धारण करके हृदय में जलते हुए, ऊपर से श्रत्या-
चार सहन कर लेना भी मानसिक दौबंल्य है। परन्तु
वास्तविक शाति घारण कर लेना यहु मानसिक उच्चता
शरोर उक्षत धमं, है 1 जैसे, कोई दुराचारी मनुष्य, किसी
धमंदील स्त्री. का दील हरण करता है रौर ` दूसरा ' उस
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