राजस्थान में हिंदी के हस्तलिखित ग्रंथों की खोज भाग 1 | Rajsthan Main Hindi Ke Hastlikhit Grantho Ki Khoj Part-I
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
237
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पकाः
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राजस्थान में हिन्दो-साहित्य चिपयक शोध |
हिन्दी साहित्य के निर्माण, विकास एवं प्रतार मे भारतवपे के जिन जिन
प्रान्तो ने भाग लिया हैं उनमे राजस्थान का अपना एक विशेष स्थान है । राजस्थान-
वासियों को इस ब्गत का गर्व हैं कि उनके कथि-कोविदो ने हिन्दी साहित्य के प्राय:
सभी अंगों पर नेक म्रथो की रचनाकर उनके द्वारा हिन्दी के भंडार को भरा है
राजस्थान से सेकडो ही ऐसे प्रतिभाशाली साहित्यकार हो गये है जिनके प्रं हिन्दी
साहित्य की अमूल्य संपत्ति और हिन्दी भ(षा-मापियो के गौरव की वर्तु माने जात है)
हिन्दी के श्रादि काल का इतिहास तो एक तरह से राजस्थान के कवियों ही की कृतियाँ
दा इतिहास हैं। राजस्थान का डिगल साहित्य, जो वस्तुतः हिन्दू जाति का प्रति-
निभि सादित्य कहा जा सकता हैं और जिसमे हिन्दू संस्कृति की मकलक सुरक्षित हे,
यय के साहिप्यिवो की हिन्दी साहित्य को झापनी एक पूव देन है । यह् समस्त
सादित्य वहत सजीव, वहत उञ्वल एवं बहुत मार्मिक है श्रौर साहित्यिक दृष्टि से
सहत्वपूण होने के साथ साथ इतिहास और भापा-शास्त्र की दृष्टि से भी अत्यंत उप-
योगी है | लेक्नि खेद हे कि हिन्दी के विद्वानों ने इस भी तक उपेक्षा के भाव से
देखा दे । परिणामस्वरूप इसका एक बहुत बड़ा अंश तो नष्ट हो गया है ध्यौर
थोड़ा वहुत जो बच रहा दे वद्द भी शत: शने: दीसक-चूदो का 'छाह्ार बनता जा
रहा हैं ।
हिन्दी भाषा की यद्द अमूल्य और अवशिष्ट साहित्यिक सामग्री जो राज-
स्थान मे स्थान स्थान पर श्रत-व्यरत दूशा में पड़ी हई है जर जिसको नष्ट होने से
वचाना हिन्दी-हितेपियो का प्रथम श्रावश्यक कर्तव्य है, भाषा की दृष्टि से चार
भागा मे विभक्त दो सक्ती दै-- (१) डिगल सादित्य (२) पिगल साहित्य
(३) जन साद्ित्य चार (४) लोक साहित्य ।
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