हिंदी कलाकार | Hindi Kalakar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25 MB
कुल पष्ठ :
384
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. इन्द्रनाथ मदान - Dr. Indranath Madan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ कबीर
चमक उठी श्रौर उसके प्रकाश में श्रतीत और भविष्य के आकाश म
जज्ञान, श्रन्ध-विश्वाक श्रौर दुरति के घनारण का जो घटाटोप था
वह देखते-देखते हर गया श्रौर जनता ने सर्व-प्रथम श्रासा के सच्चे
कल्याण की श्राशा-किरण के दर्शन किए ।
ऊपर जिस परिश्थिति श्रौर प्रभाव का उल्लेख किया गया है
उससे स्पष्ट है कि कबीर का व्यक्तित्व असाघारण था । इस असाधारण
व्यक्तित्व के कारण यदि उन्हें उनके समय का गाँधी कहां जाय तो
श्रत्युक्ति न दोगी। कभीर श्रौर गाँधी का व्यक्तित इतना साम्य
रखता है कि उसे देखकर श्राश्चय होता हे । गाँधी जिस प्रकार
चालीस कोटि भारतीय जनता का हृदय-सम्राट् है, उसी प्रकार कबीर
भी श्रपने समप्र की दलित और पीड़ित जनता का नायक था; गाँधी
जिस प्रकार हिन्दू-मुश्लिम ऐक्य का सबल समर्थक है, उसी प्रकार
कबीर मी उन दोनों को एक बनाने के लिए व्यग्र था; गाँधी जिस
करार धर्मं के बह्याचासे को निस्सार कह कर “मानवधर्म की प्रतिष्ठा
का यत्न कर रददा हे, उसी प्रकार कबीर ने भी श्राडंवर श्रोर पाखंड
को मददतवन्दीन बता कर स्व्राह्म 'साप्तन्य धर्म की प्रतिष्ठा की
थी। गाँधी जिस प्रकार व्यक्ति की साधना को, पवित्रता' को, उन्नति
का चरम लक्ष्य मानता है, उसी प्रकार कबीर भी घट-घट-वासी की
उपाष्ठना प्र ज़ोर देता था । गाँधी जिस प्रकार श्रह्दिसा, तप और
सत्य, का श्राग्रद रखता है, उसी प्रकार कप्ीर भी. जीवन की पवित्रता,
सस्य, तप श्रौर निश्छुलता की वकालत करता या; गाँधी जिस प्रकार
साति-पाँति श्र ऊँच-नीच तथा सामाजिक विषमता को गर्हित श्रौर
दिय समसता दे उश्दी प्रकार: कबीर, भी ' 'आति-पाँति ' पूछे नहि कोई,
व्रि को भजे सो दरि को होई' की रट लगाता था; गधी किदं प्रकार
User Reviews
No Reviews | Add Yours...