यथार्थ आदर्श जीवन | Yathath Adarsh Jeevan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22.55 MB
कुल पष्ठ :
265
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about बाजपेयी मुरारि शर्मा - Bajpeyi Murari Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चिडम्बन जीचन क। . बिछा है और पैर पॉछनेकी चोज शी दर किवाड़ोंपर हैं। एक जगद गाने बज़ानेके सामान रक््खे हैं जिनमें दारमो नियम मुख्य . है। तरह तरहके खिलौनोंसे थी बह सदन अपने दंगका निराला ही जान पढ़ता है | इस घरके पिछले भागमें रसोई-घर पाखाना और -भड्ोफे रहनेके लिये एक कोठरी है. रखोई-घर इतना गन्दा है जिसे बैखवकर ही घृणा प्रकट होती है क्योंकि यह कमी न लोपा ज्ञाता है न पोता । चारों ओर कोलसे भरा है और मकरोंके रहनेका एक विस्तृत स्थान है । कहीं राख है तो कहीं कोयला कंददीं भीजनाथे काटे गये पश्षियोंके चंगुछ हैं तो कहीं पर कहीं संधिरकी बून्दें हैं. तो कहीं हृड्टियां कहीं चर्बी है तो कहीं खुर जिन्हें देख शवराठय सा रसोई-घर जान पड़ता है । थोड़े सीन व तामचीनके बतन भी हैं अलुमीनियमके बर्तन भी हैं। पाखाना हिन्दुस्थानी नहीं बदिफ यूरोपीय ढंगका है जहां थाइना साबुन ्रश कंघी इत्यादि रखे हुए हैं जिसे नहाने और शद्भार करनेका स्थान कहा . जाय तो अत्युक्ति नहीं होगी। हां मख-मूत्रके उत्सगंके लिये गमले रक्खे हुए हैं जिन्हें भंगी फौरन घोकार साफ करके रख देता है ताकि बदबूका नाम न रहे । . . प्यारे चाचकदन्द . घरके चित्रसे आपको भलीभांति विदित हो गया होगा कि पाश्चात्य सभ्यतामें रंगे एक भारतीयने दीसे आदशेकों अपने जीवनका मुख्य लक्ष्य माना है । इस प्रकारके जीचनमें खदेकी भरमार रहती है - और तनख्याह या आमदनी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...