परिवर्तन | Pariwartan

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Pariwartan by श्रीयुत सुदर्शन - Shreeyut Sudarshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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परिवतेन १३ मै सोच मे पड़ गया । कदं दिनं तक सोचता रहा, अन्त में मैने एक मेातियों का हार पसन्द किया | यह हार इतना सुन्दर श्रैर सुरङ्ग था कि मैं प्रथ्वी से उछल पड़ा। परन्तु मूल्य सुना ते कलेजा बैठ गया, एक सौ बीस पौण्ड । मैंने उसे दाथ से रख दिया, श्रार दूसरे हार देखने लगा । परन्तु उनमें से कोई भी श्ांखोको न जंचा | आखिर रूपये पर प्रेम की जीत हा गईं | मैने हार खरीद लिया श्रौर स्टीला कौ मेंट कर दिया } उसे देख करः, स्टीला गवं से शरूमने लगी, शरैर फिर मेरी ओर देख कर बोली, “क्या म तुम्हारा धन्यवाद करू 072 “नहीं इसकी कोई आवश्यकता नहीं 1 “च्छा, इसका मूल्य क्या है ?: “तुम्हारी प्रेम-हृष्टि |”? “नहीं । सच सच कहो ।”” “इसे क्रिसमस के दिन पहरना ।”' स्टील्ला प्रेम के जोश में अधीर हाकर मुझसे चिमट गई । इस समय उसका प्यार कैसा सच्चा प्रतीत हेता था । मुझ पर जादू. हो गया । मैंने इस समय तक अपने आपको संयम में रक्‍्खा हुआ था, परन्तु इस समय हृदय वश में न रहा! मैने स्टीला कं दोनों सुकोमल हाथ अपने हाथो में ले लिये, श्र प्रेम के दफुर खोल दिये । यह मेरे भाग्य की परोक्षा थी । सुभे कभी लैकचर देने का अवसर नहीं मिला, परन्तु उस




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