भारत के महापुरुष | Bharat Ke Mahapurush
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
967 KB
कुल पष्ठ :
61
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about उमेश चतुर्वेदी - Umesh Chaturvedi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ११ 2
किसी दिन भारत टी नददीं संसार का सव शष्ठ पुरूपं दोगा ।
मैट्रिक पास करने से पढले गांधी जी पिद दीन दो चुफे थे ।
न्नीस वर्ष फी श्ववस्था में बै।रस्टरी की शिक्षा प्राप्त करने फे
लिये इन्हें घिलायत जान, पड़ा । जातियालों ने चनये निलायत
लाने का बढ़ा विरोघ किया और यहां तर कि उनका जाति
घदिप्टार भी कर दिया । उनडी माता भी दरतों थी कि कहीं
पुत्र पियत जा कर कुसेग मे न पद् जावे । इससिए रन्दोंने
गोधीजीसे शपथक्ते ज्षो थो कि वद सद्ा छुसंगत से दूर रहेंगे
चौर मांस मदिरा का कभी सेवन न करेंगे । धन्द्ोंने अपने भ्रण
का पूर्णतया पालन किया । वद्द दृद प्रति छो सदा से ही थे
चर श्नाजन रहे । षड जितेद्दियता, सत्य थे अद्धिसा भे चदि.
तीय थे । पलायत, मरह कर ठन पर पाश्चात्य सभ्यता का
रुग दिद न चढ़ सका । नहा वेष थत्रश्य विदेशी था शु
उनके झाचरण शुद्ध व पवित्र ये । श्रीर् उनम पाश्च सम्पा
की विल्कुक्त गधन थी।
वरिस के स्प मै--
विज्ञायत से बैरिस्टरी पाप्त करके यह भारत लौट श्राये ।
शोर बम्बई दो दाइकोट मे एडकेट दो यये 1 दप. च
सतु चलने कमी चीर छन््दें चच्छी सफलता मिली । [नतु
उनकी पश्व देशी न चल! ञो छि -अन्य प्रसिद्ध दद्दर
कौ चला दती हे । इच्छ सख्य कस्य यद् .है कि बढ़ (५
मुख्दम रन पखन्द् नदी करत घ । षद् सय के धिय क्ते २
User Reviews
No Reviews | Add Yours...