भारत के महापुरुष | Bharat Ke Mahapurush

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Bharat Ke Mahapurush by उमेश चतुर्वेदी - Umesh Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११ 2 किसी दिन भारत टी नददीं संसार का सव शष्ठ पुरूपं दोगा । मैट्रिक पास करने से पढले गांधी जी पिद दीन दो चुफे थे । न्नीस वर्ष फी श्ववस्था में बै।रस्टरी की शिक्षा प्राप्त करने फे लिये इन्हें घिलायत जान, पड़ा । जातियालों ने चनये निलायत लाने का बढ़ा विरोघ किया और यहां तर कि उनका जाति घदिप्टार भी कर दिया । उनडी माता भी दरतों थी कि कहीं पुत्र पियत जा कर कुसेग मे न पद्‌ जावे । इससिए रन्दोंने गोधीजीसे शपथक्ते ज्षो थो कि वद सद्‌ा छुसंगत से दूर रहेंगे चौर मांस मदिरा का कभी सेवन न करेंगे । धन्द्ोंने अपने भ्रण का पूर्णतया पालन किया । वद्द दृद प्रति छो सदा से ही थे चर श्नाजन रहे । षड जितेद्दियता, सत्य थे अद्धिसा भे चदि. तीय थे । पलायत, मरह कर ठन पर पाश्चात्य सभ्यता का रुग दिद न चढ़ सका । नहा वेष थत्रश्य विदेशी था शु उनके झाचरण शुद्ध व पवित्र ये । श्रीर्‌ उनम पाश्च सम्पा की विल्कुक्त गधन थी। वरिस के स्प मै-- विज्ञायत से बैरिस्टरी पाप्त करके यह भारत लौट श्राये । शोर बम्बई दो दाइकोट मे एडकेट दो यये 1 दप. च सतु चलने कमी चीर छन्‍्दें चच्छी सफलता मिली । [नतु उनकी पश्व देशी न चल! ञो छि -अन्य प्रसिद्ध दद्दर कौ चला दती हे । इच्छ सख्य कस्य यद्‌ .है कि बढ़ (५ मुख्दम रन पखन्द्‌ नदी करत घ । षद्‌ सय के धिय क्ते २




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