क्रान्ति का अगला कदम | Kranti Ka Agla Kadam

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Kranti Ka Agla Kadam by दादा धर्माधिकारी - Dada Dharmadhikari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क्रावि का श्रगला कदम -१७ क्रान्ति के सकेतों से श्रमिमंत्रित मिट्टी क्रांति से अंकगणित का नहीं, वीजगणित का हिसाव होता ह । श्कगणित मे श्रंक शोर संख्या होती है । श्रौकड का चजन द्र कीमत नपी-तुली होती है; इनी-गिनी होती है । बीजगणित मे संकेत होते हैं, चिह् होते हैं, लिशान होते है । इन संकेतों का मूल्य श्मौर उनकी प्रतिष्ठा श्रपरिमित होती है. । उसके वजन की दार कीमतकी कोइ दद न्दी होती । गांधीजी ने एक चुटकी भर नसक की पड़िया चनाकर वेची । हिसाव-नवीस दिसाव लगाने धटे कि टसं रफ्तार से समुद्र कितने दिन मे सूखेगे 'छीर नमक छे भण्डार कितने द्वि मे भरो } इधर दनका दहिसाव चला खार उधर श्र॑प्रजाका श्रासन डालने लगा। क्रांति को प्रक्रिया मं संकेता का महत्त्व कभी नहीं भूलना चाहिए । यद्द जो मुट्ठी मुद्दी मिट्टी भू-दान-यन्न के रूप में इकट्ठो हो रददी है, वह क्राति के संकेता से श्मभिमंत्रित है. । हम प्रनुत्पादृका कौ मालकियत का निराकरण करना चाहते हूं । उत्पादकों को सालकियत कायस करना चाहते हैं । उत्पादक फी मालक्रियते का मूलभूत सूत्र ह : उत्पादन के साधन उत्पादक फे हाथ में होगे | जमीन से '्वारंग क्यों ? हम शारम्भ जमीन से करते हैं। इसके कारण स्पष्ट ही हं । सथसे पदला कारण यद्‌ है कि हमारी मचसे वदी समम्या भूद! भूय का जवावश्चन्न ह श्रार चन्न उपजने का साध्रन जमीन है । इसलिए जो जोतता हैं, ब्सके दाथ से जमीन होनी प्ाहिए । जो जमसोन सही जोदता. उसे एक चप्पा भर भी जमीन रग्यने का अधिकार नहीं हे । दूसरा कारण यह है कि हमारे




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