महाकवि हरिऔध | Mahakavi Hariaundh

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Book Image : महाकवि हरिऔध  - Mahakavi Hariaundh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अरुणोद्य पब्लिशिंग हाउस, प्रयाग द्वारा प्रकाशि त + --प्रस-पृत्र सम्पादक--श्रीगिरिजादत्त इ क्ल गिरीशः बी ए० यह मासिकपत्र अमी थोडे दी समय से प्रकाशित होने लगा है, किन्तु श्रर्प जोवन सें ही आलोचना के नेत्र मँ इसने अपनी उपयोगिता प्रमाणित कर दी है! वतमान हिन्दी-सादहिव्य की प्रवृत्तियों को ठीक दिशा में ले चलना ही इस पत्र का प्रधान उद्देश्य है । निकट भविष्य में यह पत्र अपनी निष्पक्ष शेली और सहादुभविपण विचारधारा के सहारे अपने लिए एक सहत्त्वपण स्थान वना लेगा । संरक्षक, सद्दायक, और श्राहक बनकर अपनी शक्ति अलुसार इस पत्र को पुष्टता प्रदान कीजिए, जिससे यह्‌ आप की सुचारू सेवा भी कर सके । पठ संख्या ४८, डवल करान अठपेजी आकार ; वार्षिक मूस्य केवल ३ रुपये । नमूना सुपत । २--अस्णदंयं सम्पादक-श्रीगिरिजादत्त झुक गिरीशः बो० ए० 'अझरुणोद्य' में प्रतिमास बच्चों के लिए मनोर॑जक साहित्य प्रकाशित होता है । प्रवेक अंक में एक, दो या इससे अधिक सुन्दर पूशु-पक्षियों आदि की शिक्षाप्रद्‌ कहानियां निकलती हैं । प्रत्येक मास में आपको ४८ प्रष्ठ › अथौत्‌ प्रति वषे ५७६ परषठ की पुस्तक मिल जायगी, जिसका मूर्य महीने में डेड़ छाने से सी कम झअथात्‌ वर्ष भर में १) मात्र रखा गया है । इतने ही प्रष्ठों की पुस्तक के लिए अन्यत्र श्रापको कप से कम २॥) खच करना बढ़ेगा । श्राज ही एक काडं भेज कर माहक-श्रेणी मे नाम लिखाहए । नमूना सुप्त । पण सहैशदत्त शुक्ल _. . झरुणोद्य पब्लिशिंग हाउस, प्रयाग ।




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