नरक और स्वर्ग | Narak Or Swarg
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
359
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२ नरक श्रौर स्वगं
सागरोवममेग तु, उक्कोसेर वियाद्िया 1
पढमाइ जहन्नेण, दसवाससहर्सिया ।१६०॥
अध--पहली नारकी मे स्थिति जघन्य दस हजार वषं की और
उत्कृष्ट एक सागरोपम कौ है 1
तिर्णेव सागरा ऊ, उक्फोसेण वियाहिया ।
दुच्चाए जहन्नेणं, एग तु सागरोवम ॥१६९॥
अथ - दूसरी नरक मे स्थिति जघन्य एक सागरोपम श्रौर उत्कृष्ट
तौन सागरोपम को है 1
सत्तेव सागराऊ उक्कोसेण वियाददिया ।
तङ्याए जहन्नेण, तिण्णेव सागरोवमा ॥१४२॥
भथ- तीसरी नरक मे आगू-स्थिति जघन्य ३ सागर की श्रौर
उत्कृष्ट सात सागर की 1
दस सागरोवमा ऊ, उक्लोसेख वियाहिया |
चरत्थीए जददननेख, सत्तेव सागरोवमा 11१३३॥।
कथे--चौथी नरक मे स्थिति जघन्य सात सागर, उत्कृष्ट १०
सागर की ।
सत्तरससागरा, ऊ. उक््कोसेण वियाहिया ।
पचमाए जहन्नेण, दस चेव सागरोवमा ।१६४॥
भ्ै~-पाचवी नरक मे जघन्य १० सागर, उत्कृष्ट १७ सागर,
की है।
बाचीससागरा ऊ. उक्कोसेश वियादहिया ।
छट्दीएट जहन्नेण, सत्तरसर सागरोवमा ॥१६५५॥
भथ-छटी नरक मे जघन्य १७ सागर, उत्कृष्ट २२ सागर की 1
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