नरक और स्वर्ग | Narak Or Swarg

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Narak Or Swarg by भागचंद - Bhagchand

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भागचंद - Bhagchand

Add Infomation AboutBhagchand

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
२ नरक श्रौर स्वगं सागरोवममेग तु, उक्कोसेर वियाद्िया 1 पढमाइ जहन्नेण, दसवाससहर्सिया ।१६०॥ अध--पहली नारकी मे स्थिति जघन्य दस हजार वषं की और उत्कृष्ट एक सागरोपम कौ है 1 तिर्णेव सागरा ऊ, उक्फोसेण वियाहिया । दुच्चाए जहन्नेणं, एग तु सागरोवम ॥१६९॥ अथ - दूसरी नरक मे स्थिति जघन्य एक सागरोपम श्रौर उत्कृष्ट तौन सागरोपम को है 1 सत्तेव सागराऊ उक्कोसेण वियाददिया । तङ्याए जहन्नेण, तिण्णेव सागरोवमा ॥१४२॥ भथ- तीसरी नरक मे आगू-स्थिति जघन्य ३ सागर की श्रौर उत्कृष्ट सात सागर की 1 दस सागरोवमा ऊ, उक्लोसेख वियाहिया | चरत्थीए जददननेख, सत्तेव सागरोवमा 11१३३॥। कथे--चौथी नरक मे स्थिति जघन्य सात सागर, उत्कृष्ट १० सागर की । सत्तरससागरा, ऊ. उक्‍्कोसेण वियाहिया । पचमाए जहन्नेण, दस चेव सागरोवमा ।१६४॥ भ्ै~-पाचवी नरक मे जघन्य १० सागर, उत्कृष्ट १७ सागर, की है। बाचीससागरा ऊ. उक्कोसेश वियादहिया । छट्दीएट जहन्नेण, सत्तरसर सागरोवमा ॥१६५५॥ भथ-छटी नरक मे जघन्य १७ सागर, उत्कृष्ट २२ सागर की 1




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now