किशनगढ़ चित्रशैली में भावाभिव्यन्जना के मूलाधार | Kishangard Chitrashaili Me Bhavabhivyanjana Ke Mooladhar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : किशनगढ़ चित्रशैली में भावाभिव्यन्जना के मूलाधार  - Kishangard Chitrashaili Me Bhavabhivyanjana Ke Mooladhar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राम कुमार - Ram Kumar

Add Infomation AboutRam Kumar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
कोदा, कुदी, जयपुर, किशनगढ़, गैसलगेर, नाथद्वाय, अजगेर, गेवाछ, आअलयर आदि नामों से प्रसिद्ध हुयी। राजस्थान फी लघु शैलियों में किशनगढ़ एक ऐसी चिव्शैली है जो कलात्मफ दृष्टि से इतनी समर्थ व प्रभावी है कि यह अनायास ही दर्शकों को अपनी भर आाफर्ष्ति कर लोती है। अपनी अकर्षक गनोडारी रंगयोणना, गतिन्ान लयात्मक रेखायें, सौन्दर्य तथा लावण्य संयोजन वैशिष्ट्य के कारण किशनगढ़ शैली के चित्र गम कवल भारत में वरन्‌ू संसार भर में प्रसिद्ध हैं। किशनगढ़ शैली में फाव्य तथा कला का. गो फगनीय संगम मिलता है वह अपने शप रे अनूढा है। अंकित विष्य के प्रतिपादन, विश्वासपूर्ण आलेखन तथा तूलिका की गतिशीलता के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि किशनगढ़ टी के लघुचिव तत्कागीन कलाकारों की साधना एवं भावना के ज्वलन्त प्रमाण हैं। किशनगढ़ शैली पर मुगल कला का प्रभाव दिखायी पड़ा है फिर भी उसने एक ग्दौलिक चिङ शद को जन्म दिया। हस खल्य द सैन्य प्रदर्शन में कोई विशेष मत्व नहीं था. परन्तु चित्रफला के क्षेत्र में किशगगढ़ यान्य ग्ल का पत्थर रणित दु हरा नगर को बसाने चाणे राठौड़ राणा जोधपुर फी चंधज थे, किन्तु कला के सोत्र में फिशनगढ़ मारवाड़ के अधीन ही नी रहा, अपितु राजस्थान के अन्य राण्यों रो भी शागे निफल गया था। कला व सौन्दर्य की दृष्टि रो यहां के चित्र बल्े आफर्षफ एवं प्रभावश्यली हैं। 0)




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now