सुबोध - पत्रावली १६ | Subodh-patravali (16 )
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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पि है असु जहा चक तनेगा निट कहगा-- मेरा भ्रीयुन
नोपापम जीस सस्नेह नन्टाकार कहना उद घटन ही सल्लन
व्यक्ति है = =
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वैमाम षदि ४ से र०-८ षः गरेश्र्णी
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शरीयुन महाशय वर्णो मनादरलाल जी योग्य टच्छाकार--
पय श्नाया-- समाचार जनि-प्पारण्य चट. दी विमद गयु
था-- १ देर चलना कटिन धा-- सय शर्या श्रनि ५० दाय
चल-- व्यर् प्रतिदिन श्रांता द- शव श्राशा द पद्द भी ,शास्त हो
भामगा-- तो श्रापस्मति निख्लर यदी भावना भाष्दार् जा
श्ापकी बैयाइत्त किसीशे न करनापढे तथा एसी प्रत्ति शीघ्र ही
हो नवेली माक सनन चूसन पड़े आप बिज्ञ हैं. हमारी
शल्य में करिये ।
घा० लीनाराम पी स इून्छाबार तथा घा० मूलच ता को इन्छाकार
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श्न हलक मनोद्रलाल जी याग्ये इ््दागास-
पतर घाया समावारजान-मेणतो यद् प्रिखास हैपरक
कल्याणमागका कत्त तय भाय भी मात्तमागं का साधक नदी
मोनमाग का साक्षादुपाय रागालि दोप निद्नि ई--रागारिक वी
की 'अनुसचि ही सम्बर दै--रागादि निद्त्ति तो प्राणीमानरें दोता
है किन्तु रागाद़ि की अनुसपत्ति सम्यस्तानी ही क होता है। अभी
नो इम धरवासागर हैं-- श्र तो पकपान हैं नजान क्थ मृद
जाय श्री नीवाराम जी से हमारा इन्दाकार कदना--
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