चौबारे | Chaubare

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Chaubare by रामकुमार भ्रमर - Ramkumar Bhramar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चौबारे / १५ थी । मोठें इननी रात वो युलाये ता विसी न बिसी तरह वा घोटाला होगा । उसका नाम एक अज्ञात खतरे की तरह है लोगों के दिलोदिमाग में। पूछा बया वात हैं ? किस लिए भाय हैं एव परी में जाना है। शादी वर सी है मिनी मे जत्दी-जहदी वमीज वनियाइन उतारते हुए अजित बुदवुदाया था । वह भोचवकी-सी खडी थी | अजित ने कहा था-- केशर मा को बतलां देना । जाना उधर ही खाऊगा ? पर कत्ती दर लगेगी तुझे? चित्तित भाव से बटनियां नें संमाल पिया था। अजित ने एकदम चिढवर देखा था उसे-- कितनी भीदेर सगे तुझे बया पढ़ी है। पूछ की तरह मेरे पीछे लगी रहती है एकदम | बया वर रहा हु क्या कर रहा हू बहा जा रहा है. फालतू में। इत्ती क्यो चिपकती है? बटनिया दो आयें छलछला आयी थीं 1 कुछ न कहर होठ भीचती लौट गयी 1 अजित जल्दी जत्दी कपडे बदलवर नीचे उतर आया था। तीनों चले ता गैलरी पर केशर मा चिर्लायी थी कौन-कौन जा रहे है ? मैं हू छोट वोला था दादा हूं अजित हैं । वद्दा वहुत-से लोग होगे अच्छा-अच्छा केशर मा आश्वस्त हुई थी छोट है |. ठीक हे। वे भली पार बर गये थे । मोठे बुआ ने कहा था-- यार अजित । ये तेरी चुढ़िया मेरे को ऐसे समझती हैं कि में यमदूतत हू। जिसवों साथ ले जाऊंगा वा सीधा सुरग चला जायेगा। वह हुस पढ़ा था 1 अजित ने जदाव दिया नहीं उद्दे मालूम है दि तेरे साथ जो जापगा वह स्वग नही सीधघा नरक जायेगा अच्छा-अच्छा नरक ही ठीक ।. मोठे हसता गया 1 छोटे ने गंभीरता से कहा था . जो भी हो पड़ीत। मिनीथी




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