चौबारे | Chaubare
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.83 MB
कुल पष्ठ :
268
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामकुमार भ्रमर - Ramkumar Bhramar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चौबारे / १५ थी । मोठें इननी रात वो युलाये ता विसी न बिसी तरह वा घोटाला होगा । उसका नाम एक अज्ञात खतरे की तरह है लोगों के दिलोदिमाग में। पूछा बया वात हैं ? किस लिए भाय हैं एव परी में जाना है। शादी वर सी है मिनी मे जत्दी-जहदी वमीज वनियाइन उतारते हुए अजित बुदवुदाया था । वह भोचवकी-सी खडी थी | अजित ने कहा था-- केशर मा को बतलां देना । जाना उधर ही खाऊगा ? पर कत्ती दर लगेगी तुझे? चित्तित भाव से बटनियां नें संमाल पिया था। अजित ने एकदम चिढवर देखा था उसे-- कितनी भीदेर सगे तुझे बया पढ़ी है। पूछ की तरह मेरे पीछे लगी रहती है एकदम | बया वर रहा हु क्या कर रहा हू बहा जा रहा है. फालतू में। इत्ती क्यो चिपकती है? बटनिया दो आयें छलछला आयी थीं 1 कुछ न कहर होठ भीचती लौट गयी 1 अजित जल्दी जत्दी कपडे बदलवर नीचे उतर आया था। तीनों चले ता गैलरी पर केशर मा चिर्लायी थी कौन-कौन जा रहे है ? मैं हू छोट वोला था दादा हूं अजित हैं । वद्दा वहुत-से लोग होगे अच्छा-अच्छा केशर मा आश्वस्त हुई थी छोट है |. ठीक हे। वे भली पार बर गये थे । मोठे बुआ ने कहा था-- यार अजित । ये तेरी चुढ़िया मेरे को ऐसे समझती हैं कि में यमदूतत हू। जिसवों साथ ले जाऊंगा वा सीधा सुरग चला जायेगा। वह हुस पढ़ा था 1 अजित ने जदाव दिया नहीं उद्दे मालूम है दि तेरे साथ जो जापगा वह स्वग नही सीधघा नरक जायेगा अच्छा-अच्छा नरक ही ठीक ।. मोठे हसता गया 1 छोटे ने गंभीरता से कहा था . जो भी हो पड़ीत। मिनीथी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...